प्राचीन भारत का इतिहास
इसके स्रोतों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है ।
(1). धर्म ग्रन्थ
(2). साहित्यक स्रोत
(3). पुरातत्विक स्रोत
(4) विदशियों व्दारा विवरण
धार्मिक ग्रन्थ स्रोत
ब्राह्मण साहित्य ---- ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद एवं अथर्ववेद , ब्राह्नण , आरण्यक , उपनिषद , महाभारत , रामायण , पुराण ।
बौध्द साहित्य ----- विनयपिटक , सुतपिटक , अभिधम्मपिटक , महावंश , दीपवंश , ललित विस्तार , दिव्यावदान , बुध्दचरित , (अश्वघोष ) , महाविभाष , जातक आदि ।
जैन साहित्य --- कल्पसूत्र , भगवती सूत्र , आचारांग सूत्र आदि ।
ऐतिहासिक साहित्य स्रोत
राजतरंगिणी ( कल्हण ) , पृथ्वीराज रासो ( चन्द्रबरदाई ) , हर्षचरित ( बाणभट्ट ) , मुद्राराक्सस ( विशाखादत्त ) , अर्थशास्त्र ( कौटिल्य ) , अभिग्यानशाकुन्तलम् ( कालिदास ) , स्वप्नवासवदत्ता ( भास) ।
राजाओं व्दारा रचित साहित्य
हाल ( सातवाहन ) ---- गाथा सप्तशती
महेन्द्रवर्मन ( पल्लव ) ----- मत्विलास प्रहसन
हर्षवर्धन ------- रत्नावली , नागानन्द , प्रियदर्शिका
सोमेश्वर ( चालुक्य ) ------ मान्सोल्लास
साहित्यक स्रोत ग्रन्थ : प्रमुख तथ्य
महावंश व दीपवंश --- दक्सिणी बौध्द मत ग्रन्थ हैं।
ललित विस्तार की रचना नेपाल में हुई थी ।
पाणिनी ने संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी की रचना की थी ।
पतंजलि ने महाभाष्य की रचना की , जो कि पाणिनी की अष्टाध्यायी पर आधारित है ।
विदेशियों व्दारा विवरण
**यूनानी लेखक **
(1) हेरोटोडस : हेरोटोडस को इतिहास का पिता कहा जाता है । इन्होने हिस्टोरिका नामक पुस्तक की रचना की ।
(2) मेगास्थनीज : मेगास्थनीज ने इण्डिका की रचना की ।
(3) अग्यात लेखक : इश्वी सन् की पहली सदी में भारतीय बंदरगाहों , प्राकृतिक स्थिति व व्यापार पर प्रकाश अपनी रचना -- पेरीप्लस आफ द एरिथ्रियन सी में दिया गया है ।
(4) टोलेमी : टोलेमी का ज्योग्राफी प्राचीन भारतीय भूगोल एवं वाणिज्य की जानकारी देती है ।
(5) स्ट्रेबो : स्ट्रेबो ने नेगास्थनीज के विवरण को काल्पनिक माना है ।
**रोमन लेखक **
प्लिनी : प्लिनी ने नेचुरलिस हिस्टोरिका भारत एवं इटली के बीच होने वाले व्यापारिक संबंधों की जानकारी देता है ।
**चीन विवरण **
(1) फाह्यान : यह चन्द्रगुप्त व्दितीय के काल में भारत आया , उसने (फू -को -की ) की रचना की , जिसमें गुप्त काल में भारत के सामाजिक ,आर्थिक व धार्मिक स्थिति पर प्रकाश डाला ।
(2) ह्येन सांग : यह हर्षवर्धन के समय 629 ईश्वी में भापत आया ,( सी - यू- की) की रचना की ।
(3) इत्सिंग : यह सातवीं शताब्दी में भारत आया तथा नालन्दा एवं विक्रमशिला का वर्णन किया ।
*** अरबी लेखक ***
(1) सुलेमान : वह 9वीं शताब्दी में भारत आया तथा पाल एवं प्रतिहार शासकों के बारे में लिखा ।
(2) अलबरुनी : अलबरुनी ने तहकीक-ए-हिन्द की रचना की , जिसमें भारत के निवासियों की दशा का वर्णन किया है ।
पुरातात्विक स्रोत
पुरातात्विक स्रोतों में अभिलख , सिक्के , ( मुहर) , स्मारक , मूर्तियाँ , चित्रकला , भौतिक , अवशेष , मृदभाण्ड , आभूषण आदि आते हैं।
शब्दावली
अभिलेख -- जो लेख मुहर , प्रस्तरस्तम्भों , स्तूपों , चट्टानों और ताम्रपत्रों पर मिलते हैं।
एपिग्राफी --- अभिलेख के अध्ययन को पुरालेखाशास्त्र ( एपिग्राफी ) कहते हैं।
पेलिओग्राफी ----- अभिलेख तथा दूसरे प्राचीन दस्तावेजों की प्राचीन तिथी के अध्ययन को पुरालिपिशास्त्र कहते हैं।
न्यूमिस्मेटिक्स ----- सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र ( न्यूमिस्मेटिक्स ) कहते हैं।
(1) सिक्के
भारत के प्राचीन सिक्के पंचमार्क या आहत सिक्के कहलाते थे । साहित्य में इन सिक्कों को कार्षापण कहा गया है।
पुराने सिक्रे तांबे , चांदी , सोने , और सीसे के बनते हैं।
आरम्भिक सिक्कों में कुछ प्रतीक मिलते थे , परन्तु बाद में सिक्कों पर राजाओं और देवताओं के नाम तथा तिथियाँ उल्लिखित मिलती थी ।
सोने के लिखित सिक्के सर्वप्रथम कुषाण राजाओं ने जारी किए थे ।
गुप्त शासकों ने सबसे अधिक सोने के सिक्के जारी किए ।
समुद्रगुप्त को एक सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है ।
सातवाहनों ने सीसे के सिक्के जारी किए ।
गुप्तकाल में स्वर्ण सिक्कों को दीनार एवं चांदी के सिक्कों को रुपक कहते हैं।
(2) अभिलेख
सबसे अधिक अभिलेख मैसूर संग्रहालय में संगृहीत हैं।
मौर्य , मौर्योतर और गुप्त काल के अधिकांश अभिलेख कार्पस इन्सक्रिप्शनम इंडिकेरम नामक ग्रन्थ में संकलित हैं।
अभिलेखों की लिपियाँ
(1) प्राकृत लिपि --- आरम्भिक अभिलेख प्राकृत भाषा में हैं।
(2) ब्राह्मी लिपि ----- यह लिपि बाँए से दाँए लिखी जाती थी , अशोक के शिलालेख ब्राह्मी लिपि में हैं।
(3) खरोष्ठी लिपि ---- यह लिपि दाँए से बाँए लिखी जाती थी , अशोक के कुछ शिलालेख खरोष्ठी लिपि में हैं।
(4) यूनानी एवं अरमाइक लिपि ---- पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में अशोक के शिलालेखों में इन लिपियों का प्रयोग हुआ है ।
1837 में जेम्स प्रिंसेप इन अभिलेखों को पढने वाला पहला विदेशी था ।
महत्वपूर्ण अभिलेख एवं उनके शासक
समुद्रगुप्त. -------- प्रायग प्रशस्ति ( इलाहाबाद)
, एरण अभिलेख ( सागर म प्र )
रुद्रदामन ---------- जूनागढ़ अभिलेख ( गुजरात)
स्कन्दगुप्त -------------- भीतरी स्तम्भ लेख ( गाजीपुर)
खारवेल -------_ हाथीगुम्फा अभिलेख
पुलकेशिन 2nd------ ऐहोल अभिलेख
राजा भोज -------- ग्वालियर प्रशस्ति ( म प्र )
विजयसेन -------- देवपाड़ा अभिलेख
हर्षवर्ध्दन -------- मधुवन एवं बासखेड़ा अभिलेख
यशोधर्मन ----_-------- मंदसौर प्रशस्ति
गौतमीबलश्री -------- नासिक अभिलेख
याद रखने की ट्रिक
ऐ. , प्रयाग का समुद्र , जून का दामन ।
भीतरी सकरगन्द , हाथी की खाल ।
पुल का हाल , राजा बना ग्वाला ।
देवों की विजय , बास का मधुवन वृध्दि करे ।
यश मंदो , गौता नासा ।।
ये छोटी सी कविता याद करनी होगी
अभिलेख : विशिष्ट तथ्य
रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख संस्कृत भाषा में जारी प्रथम अभिलेख माना जाता है ।
पुलकेशिन व्दितीय का एहोल अभिलेख उसके दरबारी कवि रविकीर्ति व्दारा रचित है ।
अशोक के प्रयाग स्तम्भलेख में कारुवाकी , एवं तीवर का उल्लेख मिलता है ।
समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति की रचना उसके संधि विग्रहक हरिषेण ने की थी ।
भानुगुप्त के एरण अभिलेख में सर्वप्रथम सती प्रथा का लिखित साक्ष्य प्राप्त होता है ।
चन्द्रगुप्त 2nd के उदयगिरि गुहा लेख के अनुसार उसका उदेश्य सम्पूर्ण पृथ्वी को जीतना था ।
तुमुन अभिलेख में कुमारगुप्त 1st को शरदकालीन सूर्य का तरह बताया गया है ।
स्कन्दगुप्त के भीतरी अभिलेख में हुणों के आक्रमण का उल्लेख मिलता है ।
मंदसौर अभिलेख में यशोधर्मन को जननेंद्र कहा गया है ।
चन्द्रगुप्त 2nd विजयों का वर्णन मेहरौली लौहस्तम्भ लेख में मिलता है ।
विदेशी अभिलेख
(1). बोगाज कोई ---- मध्य एशिया से 1400 ई पू में प्राप्त संधि पत्र अभिलेख में वैदिक देवता मित्र , वरुण , इन्द्र और नाशत्य के नाम उल्लिखित हैं।
(2) हेलियोडोरस ( यूनानी राजदूत ). का बेसनगर का गरुड़ लेख , भागवत धर्म की जानकारी देता है ।
प्राचीन भारतीय इतिहास के आधुनिक लेखक
1776 में मनुस्मृति का अंग्रेजी अनुवाद ए कोड ओफ जेन्टू लोज के नाम से कराया गया ।
सर विलियम जोन्स ने 1789 में अभिग्यानशाकुंतलम का अंग्रेजी में अनुवाद किया ।
विल्किन्स ने 1785 में भगवतगीता का अंग्रोजी मेम अनुवाद किया ।
विसेन्ट आर्थर स्मिथ की पुस्तक अर्ली हिस्ट्री ओफ इंडिया में प्राचीन भारत का सुव्यवस्थित इतिहास प्रस्तुत किया गया है ।
ब्रिटिश इतिहासकार ए एल बैशम ने वंडर दैट वाज इंडिया लिखी ।
डी डी कौसंबी की कृति एन इन्ट्रोडक्शन टू द स्टडी ओफ इंडियन हिस्ट्री , प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का एक उतम स्रोत है ।
महत्वपूर्ण रचनाएँ एवं लेखक
विग्यानेश्वर ----- ------- मिताक्षरा
कालिदास ------ अभिग्यानशाकुंतलम , माल्विकाग्निमित्रम , रघुवंश
विशाखादत ------ मुद्राराक्षस , देवीचन्द्रगुप्त
शूद्रक --------- मृच्छकटिकम
वात्स्यायन ----- कामसूत्र
बाणभट्ट ------ हर्षचरित
सोमदेव ------- ललितविग्रहराज
भास्कराचार्य ------ सिध्दांत शिरोमणि
नागसेन ------- मिलिन्द पान्हो
जयदेव ------- गीतगोविन्द
भास ------- चारु दत्त , स्वप्न वासवदत्ता
विष्णु शर्मा ------ पंचतंत्र
अश्वघोष ----- बुध्द चरित , सूत्रालंकार
वेदव्यास ------- भगवतगीता , महाभारत
भर्तृहरि ------- शक्ति शतक
भरत -------- नाटयशास्त्र
वाल्मीकि ------ रामायण
तुलसीदास ------ रामचरितमानस
माघ ---------- शिशुपालवध
सुश्रुत ----- सुश्रुत संहिता
नागार्जुन ------ शतसहस्रिका