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Saturday, 30 September 2017

महाद्वीप एवं महासागरीय नितल की उत्पत्ति एवं पृथ्वी की आंतरिक संरचना by bajrang Lal





महाद्वीप एवं महासागरीय नितल की उत्पत्ति

 महाद्वीप एवं महासागर प्रथम श्रेणी के उच्चावच हैं ।

 पृथ्वी के धरातल के 29.2 प्रतिशत भाग पर महाद्वीपों का विस्तार है ।

 महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के प्रणेता वैग्नर हैं ।

 कार्बनिफेरस  युग में विश्व  में संपूर्ण महाद्वीप आपस में मिले हुए थे यह वेगनर का सिद्धांत है ।


  प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत 1960  में हैरी  हैस ने दिया था ।

 यह महाद्वीप विस्थापन को स्पष्ट करने वाला सिद्धांत है ।

 विश्व का सबसे ऊंचा जलप्रपात एंजिल है जो  कैराेनी नदी पर है , एवं वेनेजुएला में है ।

 बोलोमा  जलप्रपात जैरे  नदी पर स्थित है ।

 स्टेनली जलप्रपात कांगो नदी पर है ।

 नियाग्रा जलप्रपात अमेरिका एवं कनाडा के बीच है जो सेंट लॉरेंस नदी पर है ।

नियाग्रा जलप्रपात ईरी  एवं ओण्टेरियो झीलों के मध्य स्थित है ।


 विक्टोरिया जलप्रपात जांबेजी नदी पर है ।


B L Nayak:


 पृथ्वी की आंतरिक संरचना


पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकारी का स्रोत भूकम्प विज्ञान है ।

 सियाल  , सीमा एवं निफे के रूप में भूगर्भ का विभाजन स्वेस  द्वारा किया गया है ।

 सियाल में ग्रेनाइट एवं नीस जैसी चट्टानों की प्रधानता है ।

 सीमा का निर्माण मुख्यतः बेसाल्ट एवं गेब्रो  जैसी चट्टानों से हुआ है ।

 क्रोड  में निकेल एवं लोहा जैसे तत्व की अधिकता है ।

 पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत के लिए सर्वप्रथम सियाल शब्द का प्रयोग स्वेस ने किया ।

 भूकंपीय तरंगों के आधार पर स्थलमंडल की मोटाई  100   किलोमीटर मापी गई है ।

 पृथ्वी की आंतरिक परत को बेरीस्फीयर कहते हैं ।

 पृथ्वी धरातल से गहराई की ओर जाने पर गहराई के साथ तापमान में 1 डिग्री सेंटीग्रेड प्रति 32 मीटर की दर से वृद्धि होती है ।

 पृथ्वी की आंतरिक संरचना के अनुसार भूगर्भ का विभाजन भूपटल ,  मेंटल एवं क्रोड  में किया गया । यह सिद्धांत ग्रांट  का है ।

 भूपटल की औसत मोटाई लगभग 33 किलोमीटर है ।

 भूपटल की मोटाई महाद्वीप भाग में ज्यादा एवं महासागरीय भाग में कम है ।

 महाद्वीपीय भूपटल मुख्यतः ग्रेनाइट चट्टानों से बना है ।

 महासागरीय भूपटल का निर्माण बेसाल्ट चट्टानों से हुआ है ।

 मेंटल  ( सीमा )  की गहराई 35 किलोमीटर से 2900  किलोमीटर है ।

 पृथ्वी के आयतन का 83.5% एवं द्रव्यमान का 67.8 प्रतिशत भाग मेंटल है ।

 इसका घनत्व 3 से लेकर 5.5 तक है ।

 मेंटल को व्हाइट ऑफ द अर्थ के नाम से भी जाना जाता है ।

 मेंटल में सिलिका एवं मैग्नीशियम की प्रधानता होती है ।

 मोहो असंबद्धता क्रस्ट  एवं मेंटल के बीच स्थित है ।

 दबाव एवं रेडियो सक्रिय पदार्थों का विखंडन भूगर्भ में तापमान वृद्धि का कारण है ।

 पृथ्वी भू-पर्पटी में सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व एलुमिनियम है ।

 धरातल से मोहो असंबद्धता की गहराई 30 किलोमीटर है ।

 वलन क्रिया पर्वत निर्माणकारी बल का परिणाम है ।

 सियाल मिश्रित धातुओं एवं सिलीकेटों से बनी परत है ।

Thursday, 28 September 2017

कृषि के विशिष्ट प्रकार by bajrang Lal

कृषि के विशिष्ट प्रकार

विटीकल्चर --- अंगूर उत्पादन

पीसीकल्चर ----- मछली उत्पादन

सेरीकल्चर ----- रेशम उत्पादन

हॉर्टीकल्चर ---- फल एवं सब्जी उत्पादन

एपीकल्चर --- मधुमक्खी पालन

सिल्वीकल्चर --- वनों के सरंक्षण की शाखा

फ्लोरीकल्चर ---- फूलों का उत्पादन

अर्बरीकल्चर --- वृक्ष एवं झाड़ी उत्पादन

मैरीकल्चर --- समुद्री जीव उत्पादन

ओलेरीकल्चर --- जमीन पर फैलने वाली सब्जिया

ओलिवीकल्चर --- जैतून की खेती

एरोपोनिक --- पौधों को हवा में उगाना

वर्मीकल्चर --- केंचुआ पालन

मोरीकल्चर --- शहतूत उगाना

Wednesday, 27 September 2017

भारत के प्रमुख दर्रे by bajrang Lal

          भारत के प्रमुख दर्रे




 जम्मू-कश्मीर

जोजिला दर्रा
पीरपंजाल दर्रा
काराकोरम दर्रा
 बुर्जिल दर्रा
और बनिहाल दर्रा

शोर्ट ट्रिक्स --- JP बाबु का हाल है ?
J --- जोजिला दर्रा
P --- पीरपंजाल दर्रा
बा ---- बनिहाल दर्रा
बु ---- बुर्जिल दर्रा
का ---- काराकोरम दर्रा


 अरुणाचल प्रदेश

बोमडिला दर्रा
 दीफू  दर्रा
 यांग्याप दर्रा

शोर्ट ट्रिक्स --- अरुण ने बो दिया ।

अरुण ---- अरुणाचल प्रदेश
बो ---- बोमडिला दर्रा
दि --- दीफू  दर्रा
या --- यांग्याप दर्रा



 हिमाचल प्रदेश

रोहतांग दर्रा
शिपकीला दर्रा
बालाघाट दर्रा

शोर्ट ट्रिक्स --- शिपकली ने रोहित का बाल नोच लिया ।

शिपकली ---शिपकीला दर्रा
रोहित ---- रोहतांग दर्रा
बाल ---- बालाघाट दर्रा


  सिक्किम

जैलेपला दर्रा
नाथूला दर्रा

नाथुराम गोडसे जेल गये ।

नाथुराम --- नाथूला दर्रा
जेल --- जैलेपला दर्रा


 उत्तराखंड

 नीति दर्रा
लिपुलेख दर्रा
माना दर्रा

शोर्ट ट्रिक --- नीलिमा उतर गई ।

नी ---- नीति दर्रा
लि ---- लिपुलेख दर्रा
मा ---- माना दर्रा
उतर  --- उत्तराखंड


 मणिपुर ---  तुजू दर्रा





            प्रश्न-उत्तर



1.  आर्यों ने भारत में किस दर्रे से होकर प्रवेश किया था ?
 (a)  खैबर                       (b)     बोलन
  (c) कराकोरम                  (d)         शिपकी

उत्तर-- खैबर

 2.  हिमाचल प्रदेश में स्थित दर्रा है --
  (a) शिपकीला                (b)    जोजिला
 (c)  नाथूला                      (d)  जेलेप्ला

 उत्तर  --- शिपकिला दर्रा

 3.  ' जवाहर सुरंग ' नाम किस प्राकृतिक पर्वतीय दर्रे को दिया गया है ?
 (a)  पीरपंजाल दर्रा            (b)     बुर्जिल दर्रा
 (c) बनिहाल दर्रा                 (d)  शिपकीला दर्रा

 उत्तर ----  बनिहाल दर्रा

 4. निम्नलिखित में से कौन-सा दर्रा पश्चिमी घाट पर्वतमाला में स्थित नहीं है ?
  (a) थाल घाट            (b)  भोर घाट
   (c) पालघाट                (d)       पीपली घाट

 उत्तर ---- पीपली घाट


5.  पीपली घाट दर्रा किस पर्वतीय भाग में स्थित है ?
 (a) पश्चिमी घाट                     (b)     पूर्वी घाट
(c) विंध्याचल श्रेणी                  (d)     अरावली

 उत्तर  -- अरावली

6.  जोजिला दर्रा जोड़ता है-
  (a) श्रीनगर और लेह को    (b)  कलिम्पोंग और ल्हासा को     (c)  चम्बा और स्पीति को
(d)  अरुणाचल प्रदेश और ल्हासा को


 उत्तर --  श्रीनगर और लेह को

7. पालघाट दर्रा निम्नलिखित में से किन दो राज्यों को जोड़ता है ?
 (a) केरल - तमिलनाडु      (b)  कर्नाटक - तमिलनाडु
(c) आंध्र प्रदेश - तमिलनाडु   (d)     कर्नाटक - केरल


 उत्तर  --- केरल - तमिलनाडु

8.  तुजू दर्रा भारत को किस देश से जोड़ता है ?
  (a) चीन                        (b)   म्यांमार
   (c) नेपाल                     (d)     भूटान

 उत्तर  -- म्यांमार


9.  नाथूला दर्रा किस राज्य में स्थित है ?
 (a) उत्तराखंड                (b)   हिमाचल प्रदेश
  (c) सिक्किम                (d)     मणिपुर

 उत्तर --  सिक्किम


10.  बोमडिला दर्रा भारत के किस राज्य में स्थित है ?
  (a) सिक्किम                   (b)   मणिपुर
  (c) उत्तराखण्ड                (d)    अरुणाचल प्रदेश

 उत्तर  --अरुणाचल प्रदेश


11.  जोजिला दर्रा किस राज्य में स्थित है ?
(a) हिमाचल प्रदेश                (b)   जम्मू - कश्मीर
 (c) उत्तराखण्ड                      (d)    सिक्किम

 उत्तर ---जम्मू - कश्मीर

12.  जम्मू से श्रीनगर का मार्ग किस दर्रे से होकर गुजरता है ?
 (a) जोजिला                     (b)    बुर्जिल
 (c) बनिहाल                     (d)    पीरपंजाल

 उत्तर  --- बनिहाल

13.  किस पर्वतीय दर्रे से होकर भारतीय तीर्थयात्री मानसरोवर झील तथा कैलाश पर्वतीय घाटी के दर्शन हेतु जाते हैं ?
 (a) शिपकिला                   (b)    बारालाचा
 (c)   माना                           (d)      नाथूला

 उत्तर -- माना दर्रा

14.  टौगुप  दर्रा भारत को किस देश के साथ जोड़ने वाला पर्वतीय दर्रा है ?
 (a) अफगानिस्तान.              (b) चीन
 (c)  पाकिस्तान                      (d)    म्यांमार

 उत्तर --- म्यांमार

15.  खेबर दर्रा कहां स्थित है?
 (a) भूटान              (b)  बांग्लादेश
   (c) पाकिस्तान          (d)    भारत

 उत्तर -- पाकिस्तान

16.  पालघाट निम्नलिखित में से किनके मध्य स्थित है?
    (a).  नीलगिरी और कार्डामोम पहाड़ियां                          (b).  नीलगिरी एवं अन्नामलाई पहाड़ियां
(c)  अन्ना मलाई और कार्डामोम पहाड़ियां
  (d) कार्डामोम पहाड़ियां और पालिनी पहाड़ियां

 उत्तर  -- अन्नामलाई और नीलगिरि पहाड़ियां


17.  निम्नलिखित दरों में से किससे होकर लेह जाने का रास्ता है ?
(a) जोजिला                     (b)    शिपकिला
  (c) चुंबी घाटी               (d)     बनिहाल

 उत्तर  --- जोजिला दर्रा

दक्षिण भारत का इतिहास by bajrang Lal




 दक्षिण भारत का इतिहास


 महापाषाणिक ( मेगालिथिक)  पृष्ठभूमि



 प्रायद्वीपीय भारत के उच्च भागों में वे  लोग बसते थे जो महापाषाण निर्माता कहलाते थे ।  उनका पता उनकी कब्रों से चलता है जो महापाषाण कहलाती हैं ।


 इन   कब्रों को  महापाषाण इसलिए कहते हैं कि इन्हें बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर दिया जाता था ।

 इन कब्रों  में दफनाए गए लोगों के न केवल अस्थि पंजर ही बल्कि  मृदभांड और लोहे की वस्तुओं में भी मिलती है ।  जिनमें लाल एवं काला मृदभांड अधिक प्रचलित हैं ।


         पल्लव वंश

 इक्षवाकुओं  को अपदस्थ कर उनकी जगह पल्लव आए ।

 पल्लवों  ने अपनी राजधानी  कांची में बनाई ।

 प्रमुख पल्लव शासक

 वप्पदेव --  यह पल्लव वंश का संस्थापक था ।

 सिंह विष्णु  --- इसे पहला महत्वपूर्ण पल्लव राजा माना जाता है ।

 किरातार्जुनीयम तथा दशकुमारचरितम् के लेखक भारवि सिंह  विष्णु के दरबार में रहते थे ।

 महेंद्रवर्मन प्रथम.





 पल्लव वंश का उत्कृष्ट महेंद्र वर्मन प्रथम के शासन के साथ शुरू हुआ ।

 इसके शासनकाल में पल्लव तथा चालुक्यों के बीच लंबा संघर्ष शुरू हुआ  । पुलकेशिन द्वितीय ने इसे पराजित किया ।

 महेंद्र वर्मन प्रथम ने मतविलास प्रहसन की रचना की ।


 वास्तु कला के क्षेत्र में उसने मंडप शैली को प्रारंभ किया ।

 प्रारंभ  में वह  जैन मतानुयायी  था परंतु नयनार संत अप्पार  से प्रभावित होकर उसने शैव धर्म को अपनाया ।


 नरसिंह वर्मन प्रथम

 यह महान पल्लव शासक था  , जिसने पुलकेशिन द्वितीय की हत्या कर बादामी पर अधिकार कर लिया ।

 अतः उसने वातापीकोण्डा की उपाधि धारण की ।


 उसने मामल्लपुरम नामक नगर बसाया ।

 हेनसांग ने इसी के शासनकाल में कांची की यात्रा की थी ।

 नरसिंहवर्मन द्वितीय

 इसका शासन काल शांति , समृद्धि तथा मंदिरों के निर्माण का काल था ।


 दण्डिन  नामक विद्वान इन्हीं के दरबार में रहता था ।

 इसने कांची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया ।


 नंदी वर्मन द्वितीय

यह वैष्णव धर्म का अनुयाई था  ।

इसने राष्ट्रकूट शासक दंतिदुर्ग की पुत्री रेवा से शादी की ।


 अपराजित

यह पल्लवों का अंतिम महत्वपूर्ण शासक था ।

 चोल शासक आदित्य चोल ने  अपराजित पल्लव पर आक्रमण कर अलग राज्य पर अधिकार कर लिया ।


 महेंद्र वर्मन ---  मण्डप शैली

 नरसिंह वर्मन प्रथम ------  मामल्ल  शैली

 नरसिंह वर्मन द्वितीय -----  राजसिंह शैली

 नंदी वर्मन द्वितीय --- नंदी वर्मन शैली ।

[28/09, 07:50] B L Nayak

चालुक्य वंश

 वातापी (बादामी ) के चालुक्य

 जयसिंह बादामी  के चालुक्य वंश का संस्थापक था ।

 जयसिंह क़दम्बों  के अधीन शासक था ।

 पुलकेशिन प्रथम--

 बादामी के चालुक्य का उत्कर्ष पुलकेशिन प्रथम के समय में हुआ ।

 उसने बीजापुर के निकट वातापी ( बादामी)  को अपनी राजधानी बनाई थी ।

 कीर्तिवर्मन प्रथम

इसने क़दम्बों  को नष्ट कर दिया और गोवा पर अधिकार कर लिया ।

 पुलकेशिन द्वितीय

यह इस वंश का महान शासक था जिसने हर्ष के विजय अभियान को नर्मदा नदी के तट पर रोका था ।

 उसने रविकीर्ति से ऐहोल अभिलेख लिखवाया जिसकी भाषा संस्कृत एवं लिपि ब्राह्मी है ।

 कीर्तिवर्मन द्वितीय इस वंश का अंतिम शासक था ,  जिसे राष्ट्रकूट शासक दंतिदुर्ग ने पराजित कर अपनी सत्ता की स्थापना की ।


 चालुक्यों का योगदान

 चालुक्यों ने  वास्तुकला के क्षेत्र में दक्कन या बेसर शैली का विकास हुआ ।

 बेसर शैली -- द्रविड़ शैली एवं नागर शैली का मिश्रण




 एहोल --एहोल को मंदिरों का शहर कहा जाता है ।
 यहां 70 मंदिरों के साक्ष्य  से मिले हैं जिसमें  4  दर्शनीय हैं --  लाडखान मंदिर ,  हसीमल्लीगुड़ी  मंदिर , दुर्गा मंदिर एवं , मेगुती  का जैन मंदिर ।


 बादामी का मेलागित्ती  शिवालय ।

पापनाथ मंदिर

विरुपाक्ष मंदिर -- इसे  विक्रमादित्या  द्वितीय की रानी लोकमहादेवी ने बनवाया था ।

 त्रिलोककेश्वर महादेव मंदिर -- इसे  विक्रमादित्या  द्वितीय की दूसरी रानी त्रिलोक महादेवी ने बनवाया था ।


 वेंगी के चालुक्य

 पुलकेशिन द्वितीय ने आंध्र को जीतकर अपने भाई विष्णुवर्धन को दिया , जिसने  वेंगी के चालुक्य वंश की स्थापना की ।


 इस वंश के अन्य महत्वपूर्ण शासक थे --  विजयादित्य ,  विष्णुवर्धन चतुर्थ  ,   विजयादित्य द्वितीय ,  विजयादित्य तृतीय , गुणग ,  और भीम प्रथम ।



 कल्याणी के चालुक्य

इस वंश की स्थापना तैलप द्वितीय ने की थी ,  इसने राष्ट्रकूट राजा कर्क द्वितीय को मारकर इस वंश
की स्थापना की थी ।

 तैलप  द्वितीय की राजधानी मान्यखेट थी , सोमेश्वर द्वितीय अपनी राजधानी मान्यखेट  से कल्याणी   ले  गया ।




 विक्रमादित्य चतुर्थ इस  वंश का एक महान शासक था ,  विक्रमांकदेवचरित के लेखक विल्हण तथा मिताक्षरा के लेखक विज्ञानेश्वर इसी के दरबार में रहते थे ।

 सोमेश्वर तृतीय के काल में चालुक्य राज्य बिखरने लगा ।

Tuesday, 26 September 2017

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव अभयारण्य by bajrang Lal

भारत के मुख्य राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव अभयारण्य


 काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान  --- जोरहाट --- असम

 मानस वन्यजीव अभयारण्य ---बारपेट --- असम

 गरमपानी वन्य जीव अभ्यारण्य ---डिफू --- असम

 सोनाई रूपा वन्यजीव अभयारण्य ---  तेजपुर - असम


शोर्ट ट्रिक्स --- रंगा मासो अभी गरम है।

रंगा ----- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
मा ------ मानस वन्यजीव अभयारण्य
सो ------ सोनाई रुपा वन्यजीव अभयारण्य
गरम ------- गरम पानी वन्य जीव अभ्यारण्य



 भीमबंध  अभयारण्य ----  मुंगेर ----- बिहार

 गौतम बुद्ध वन्य  वन्यजीव अभयारण्य -- गया - बिहार

शोर्ट ट्रिक्स ----  गौतम बुद्ध भी बिहार गया ।

गौतम बुद्ध  ----  गौतम बुद्ध वन्य  वन्यजीव अभयारण्य
भी ----- भीमबन्ध अभयारण्य


 डालमा वन्य जीव अभ्यारण्य -- सिंहभूमि -- झारखंड

 हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य--  हजारीबाग --  झारखंड

 पलामू वन्यजीव अभयारण्य  --- डाल्टनगंज - झारखंड

शोर्ट ट्रिक्स -- हजारीबाग में झाड़ डालो पल्लू ।


हजारीबाग ---- हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य
डालो ---- डालमा वन्य जीव अभ्यारण्य
पल्लू  ----- पलामू वन्य जीव अभ्यारण्य




 गिर राष्ट्रीय उद्यान  ---- जूनागढ़ ---  गुजरात

 बालाराम राष्ट्रीय उद्यान --- बनासकांठा --- गुजरात

 बल्वाडर राष्ट्रीय उद्यान --- भावनगर ---- गुजरात

शोर्ट ट्रिक्स --- गिरने से बालाराम का डर गुजर गया ।

गिरने से --- गिर राष्ट्रीय उद्यान
बालाराम --- बालाराम राष्ट्रीय उद्यान
डर ---- बल्वाडर राष्ट्रीय उद्यान
गुजर गया --- गुतमिलनाडु

नवेगाँव राष्ट्रीय उद्यान --- भंडारे --- महाराष्ट्र

 बोरीबली राष्ट्रीय उद्यान --- मुंबई --- महाराष्ट्र

 बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान --- बांधवगढ़ --- महाराष्ट्र

 पेंच राष्ट्रीय उद्यान --- नागपुर --- महाराष्ट्र

 टडोवा  राष्ट्रीय उद्यान --- चंद्रपुर --- महाराष्ट्र

 तन्सा वन्यजीव अभयारण्य -- थाणे -- महाराष्ट्र

शोर्ट ट्रिक्स -- पाँच बोरी बान्ध के ठल्डोगे तो गाँव में तमाशा बनेगा ।

पाँच--- पेंच राष्ट्रीय उद्यान
बोरी --- बोरीबली राष्ट्रीय उद्यान
बान्ध --- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
ठल्डोगे -- टडोवा  राष्ट्रीय उद्यान
गाँव --- नवेगाँव राष्ट्रीय उद्यान
तमाशा -- तन्सा वन्यजीव अभयारण्य


 बेनाड वन्यजीव अभयारण्य -- कन्नानोर-- केरल

 इरम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य -- इडुकी -- केरल

 पराम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य -- पालघाट --केरल

 पेरियार वन्यजीव अभयारण्य --- इडुक्की --  केरल

शोर्ट ट्रिक्स -- अबे यार केरी कुलम ।

अबे -- बेनाड वन्यजीव अभयारण्य
यार --- पेरियार वन्यजीव अभयारण्य
केरी-- केरल
कुलम -- इरम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य एवं पराम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य


 केवलादेव घना पक्षी विहार --- भरतपुर --- राजस्थान

 रणथम्भोर वन्यजीव अभयारण्य --- सवाई माधोपुर --  राजस्थान

 सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य -- अलवर -- राजस्थान

शोर्ट ट्रिक्स --- रण में केवल सरिता ही राज करेगी ।

रण -- रणथम्भोर वन्यजीव अभयारण्य
केवल -- केवलादेव घना पक्षी विहार
सरिता -- सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य
राज -- राजस्थान

 वेदांतगल पक्षी विहार ---  चिंगलपेट ---  तमिलनाडु

 मुदुमलाई वन्य जीव अभ्यारण्य -- नीलगिरी --  तमिल नाडु

शोर्ट ट्रिक्स -- दान्त से चबाओ मलाई लाडु ।

दान्त -- वेदांतगल पक्षी विहार
मलाई -- मुदुमलाई वन्य जीव अभ्यारण्य
लाडु -- तमिलनाडु


 नामदफा वन्यजीव अभयारण्य ---तिरप -- अरुणाचल प्रदेश

 पक्कुई  वन्य जीव अभ्यारण्य --- कामेंग -- अरुणाचल प्रदेश

 रोहला राष्ट्रीय उद्यान ---  कुल्लू ---  हिमाचल प्रदेश

 शिकरी देवी वन्यजीव अभयारण्य --  मण्डी -- हिमाचल प्रदेश

 जलदापारा वन्यजीव अभयारण्य -- जलपाईगुड़ी ---  पश्चिम बंगाल

 सुंदरवन टाइगर रिजर्व --- चौबीस परगना --- पश्चिम बंगाल

शोर्ट ट्रिक्स --- सुन्दर जलपरी
सुन्दर ---- सुंदरवन टाइगर रिजर्व
जलपरी --- जलदापारा वन्यजीव अभयारण्य


 कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान ---  नैनीताल --- उत्तराखंड

 डाचीगाम वन्यजीव अभयारण्य ---  श्रीनगर --- जम्मू कश्मीर

 खगचंदजेदा  राष्ट्रीय उद्यान -- गंगटोक --- सिक्किम

 डाम्प वन्यजीव अभयारण्य --- आइजोल --  मिजोरम

 इण्टांग्की वन्यजीव अभयारण्य -- कोहिमा -- नागालैंड

 रास आइसलैण्ड राष्ट्रीय उद्यान --- रासडीफ  अंडमान निकोबार

 कोलेरू वन्यजीव अभयारण्य  --- एल्लुरु -- आंध्र प्रदेश

 पारबल वन्यजीव अभयारण्य -- वारंगल -- आंध्र प्रदेश

 नाला पट्टी पक्षी विहार  --- नेल्लोर --- आंध्र प्रदेश

 टडवाई वन्यजीव अभयारण्य --- वारंगल  -- आंध्र प्रदेश

शोर्ट ट्रिक्स -- अन्धा ठडाई से नाला पार नहीं कर सकता ।

अन्धा ---- आंध्र प्रदेश
ठडाई -- टडवाई वन्यजीव अभयारण्य
 नाला ---- नाला पट्टी पक्षी विहार
पार ----- पारबल वन्यजीव अभयारण्य

 पुष्पावती नेशनल पार्क  --- चमोली गढ़वाल -- उत्तर प्रदेश

 चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य ---  वाराणसी --  उत्तर प्रदेश

 नंदा देवी पशु विहार --- चमोली गढ़वाल --- उत्तर प्रदेश

 मालन पशु विहार ----  पौड़ी गढ़वाल --- उत्तर प्रदेश

 दुधवा राष्ट्रीय उद्यान --  लखीमपुरखीरी -- उत्तर प्रदेश

 गोविंद पशु विहार  -- उत्तर काशी  ---  उत्तर प्रदेश

 कावल वन्यजीव अभयारण्य -- आदिलाबाद --  उत्तर प्रदेश

शोर्ट ट्रिक्स -- प्रभात में गोविन्द को पुष्प माला , कम्बल , व दुध चढाते हैं।

प्रभात -- चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य
गोविन्द -- गोविंद पशु विहार
पुष्प -- पुष्पावती नेशनल पार्क
माला -- मालन पशु विहार
कम्बल -- कावल वन्यजीव अभयारण्य
दुध --  दुधवा राष्ट्रीय उद्यान


 इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान  --- बस्तर  --मध्य प्रदेश

 फासिल राष्ट्रीय उद्यान -- मंडला -- मध्य प्रदेश

 पन्ना राष्ट्रीय उद्यान ---- पन्ना ---  मध्य प्रदेश

 संजय राष्ट्रीय उद्यान ---  सीधी ---  मध्य प्रदेश

 सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान -- होशंगाबाद -- मध्य प्रदेश

 बादलखोल वन्यजीव अभयारण्य  --रायगढ़ --मध्य प्रदेश

 उदयन्ती वन्य जीव  अभ्यारण्य --- रामपुर ---- मध्य प्रदेश

 सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य --- रामपुर -- मध्य प्रदेश

 तमोई  पिंगला वन्यजीव अभयारण्य -- सरगुजा ---- मध्य प्रदेश

 रातापानी वन्यजीव अभयारण्य --- रायसेन --- मध्य प्रदेश

 सिंचोली वन्यजीव अभयारण्य --- रायसेन -- मध्य प्रदेश

 नरसिंहगढ़ वन्यजीव अभयारण्य --- राजगढ़ --- मध्य प्रदेश

 बोरी वन्यजीव अभयारण्य --- औरंगाबाद --- मध्य प्रदेश

 गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण्य --- मंदसौर -- मध्य प्रदेश

 कान्हा किसाली राष्ट्रीय उद्यान. -- मंडला एवं बालाघाट -- मध्य प्रदेश

 पंचमढ़ी वन्य जीव अभ्यारण्य --- होशंगाबाद --- मध्य प्रदेश

 माधव राष्ट्रीय उद्यान ---  शिवपुरी --- मध्य प्रदेश

शोर्ट ट्रिक्स ---  तमाम रातां सिंचाई कर फसल उगाई है ,  बोरी मंडी में ही खोलो ।


तमाम -- तमोई  पिंगला वन्यजीव अभयारण्य
रातां-- रातापानी वन्यजीव अभयारण्य
सिंचाई --
फसल --- सिंचोली वन्यजीव अभयारण्य
बोरी -- बोरी वन्यजीव अभयारण्य
मंढी -- पंचमढ़ी वन्य जीव अभ्यारण्य
खोलो -- बादलखोल वन्यजीव अभयारण्य

 दोस्तों   देवताओं के नाम से जुड़े अधिकतर अभ्यारण्य  मध्य प्रदेश में ही हैं।

संजय , पन्ना , उदय , गाँधी , पुड़ा को याद रख कर आप इन अभ्यारण्य को याद रख सकते हैं।


 रंगाथिटटु पक्षी विहार --- मैसूर --- कर्नाटक

 तुंगभद्रा वन्यजीव अभयारण्य -- बेल्लारी --  कर्नाटक

 सोमेश्वर वन्यजीव अभयारण्य --- कनारा  -- कर्नाटक

 शरावथी घाटी वन्य जीव अभ्यारण्य -- शिमोगा --  कर्नाटक

 नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान ---  दुर्ग  --- कर्नाटक

 मुकम्बिल वन्यजीव अभयारण्य -- कनारा -- कर्नाटक

 वेणुगोपाल राष्ट्रीय उद्यान ---  मैसूर ---  कर्नाटक

 डण्डेली वन्यजीव अभयारण्य --- धारवाड़ -- कर्नाटक

 भद्रा अभयारण्य ---  चिकमंगलूर -- कर्नाटक

 बांदीपुर पक्षी विहार एवं राष्ट्रीय उद्यान --- बांदीपुर --  कर्नाटक

शोर्ट ट्रिक्स -- नागर शैली में भदा रंग मुकम्बल था ।


नागरशैली -- नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान
भदा -- भद्रा अभयारण्य एवं तुंगभद्रा वन्यजीव अभयारण्य
रंग ---  रंगाथिटटु पक्षी विहार
मुकम्बल -- मुकम्बिल वन्यजीव अभयारण्य



गोपाल शरारत की तो बंद कर डण्डे से पिटोगे ।

गोपाल --- वेणुगोपाल राष्ट्रीय उद्यान
शरारत. -- शरावथी घाटी वन्य जीव अभ्यारण्य
बंद -- बांदीपुर पक्षी विहार एवं राष्ट्रीय उद्यान
डण्डे --  डण्डेली वन्यजीव अभयारण्य

Sunday, 24 September 2017

भारत के प्रमुख जलप्रपात by bajrang Lal

    भारत के प्रमुख जलप्रपात


 नर्मदा नदी  ---- येना व धुआंधार जलप्रपात

 पायकारा नदी ----  नीलगिरी क्षेत्र


शोर्ट ट्रिक्स ---  ये  नर्मदा नदी की धार है उपाय कर लो  वरना सब पर गिरेगा ।

ये  ----- येना जलप्रपात
नर्मदा ---- नर्मदा नदी
धार ----- धुआँधार जलप्रपात
उपाय ------ पायकारा नदी
गिरेगा ----- नीलगिरि क्षेत्र




 चंबल नदी----  चुलिया व पुनासा

 टोंस नदी -------- बिहार

 शरावती नदी ----- जोग जलप्रपात

 Short trick -- चुपचाप बिस्किट खा कर सो जाओ

बि ----- बिहार जलप्रपात
-ट-- टोंस नदी
सो ------ शरावती नदी
 जाओ------ जोग जलप्रपात  चुपचाप
प------ पुनासा जलप्रपात
चु ----- चुलिया जलप्रपात
चाप----- चम्बल नदी



 कावेरी नदी ---- शिवसमुद्रम जलप्रपात

 शिव की कावड़


 स्वर्णरेखा नदी --  हुंडरू जलप्रपात

 गोकक नदी  ---- गोकक जलप्रपात

Saturday, 23 September 2017

मध्य भारत से एशिया का सम्बध by bajrang Lal

       मध्य एशिया से भारत का संपर्क


 पश्चिमोत्तर भारत में मौर्य के स्थान पर मध्य एशिया से आए कई राजवंशों ने अपनी सत्ता कायम की ।

 इस काल में भारतीय क्षेत्रों पर यूनानी , शक , पहलव तथा कुषाणों का हमला हुआ ।


(1).  हिंद यूनानी

 भारत पर आक्रमण करने वाले यूनानी हिंद यूनानी या बैट्रियाई  यूनानी कहलाते थे ।








  भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम यूनानी डिमेट्रियस प्रथम था जो कि बैक्ट्रिया का शासक था।

 इसने पश्चिमोत्तर भारत (  सिंध ,  अफगानिस्तान एवं पंजाब ) के विशाल क्षेत्र पर कब्जा कर लिया ।

 डिमैट्रयिस का उत्तराधिकारी मिनांडर. या  मिलिंद  एक महान शासक था ,  इसकी राजधानी पंजाब में शाकल  थी  ।

उसके  नागसेन के साथ वार्तालाप की रचना  का नाम मिलिंदपन्हो है ।




 हिंद यूनानी शासकों में सबसे ज्यादा सिक्के मिनांडर के ही हैं ।


 सबसे पहले भारत में सोने के सिक्के हिंद यूनानियों ने जारी किए थे ।

 इनके द्वारा चलाई गई कला को हेलेनिस्टिक आर्ट   कहते हैं ,  भारत में गांधार कला इसका उत्तम  उदाहरण है ।


(2)    शक

 हिंद यवनों  के बाद भारतीय  क्षेत्रों पर हमला करने वाले शक थे ।

 भारत में शक पूर्वी ईरान के क्षेत्रों से होकर आए थे ।


 शकों की  पाँच शाखाएं थी और हर शाखा के अलग-अलग राजधानी थी ।

 अफगानिस्तान ,  मथुरा ,  पश्चिम भारत ,  पंजाब एवं   ऊपरी दक्कन ।


 57  ईसवी पूर्व में उज्जैन के राजा ने शकों को युद्ध में पराजित कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ।

 विक्रम संवत नाम का संवत 57 ईसवी पूर्व में शकों पर उसकी विजय से आरंभ हुआ ।


 भारत में कुल 14 विक्रमादित्य हुए  ।

गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय  सबसे विख्यात विक्रमादित्य था  ।


 सबसे विख्यात शक शासक रुद्रदामन प्रथम था ।


 इसने काठियावाड़ में सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार किया ।


 जूनागढ़ अभिलेख रुद्रदामन का संस्कृत में  अभिलेख है ।


 शक नरेशों के भारतीय प्रदेशों के शासक क्षत्रप कहे  जाते थे ।


(3)   पहलव या  पार्थियाई

 पश्चिमोत्तर भारत में शकों  के बाद पहलवाें  का आधिपत्य हुआ ।

 इनका मूल निवास ईरान था ।

 सबसे प्रसिद्ध पार्थियाई राजा गोंडाफर्निस था ।

 उसी के शासनकाल में संत टॉमस ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भारत आया था ।


  (4). कुषाण


 यूची  नामक एक कबीला था जो पांच कुलों में बंट गया था कुषाण  उन्ही में एक कुल  के  थे ।



 कुजुल कडफिसेस

यह भारत में कुषाण वंश का संस्थापक था  ।


इसने तांबे के सिक्के जारी किए ।




विम कडफिसेस

इसके द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर शिव ,  नदी ,  त्रिशूल की आकृति बनी है ।



 कनिष्क

कुषाण राजवंश का सबसे महान शासक कनिष्क था ।

 कनिष्क ने 78 ई पू  में शक संवत चलाया जो उसके राज्यरोहण  की तिथि है।

 शक संवत भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है ।

 उसकी दो राजधानियां थी  --- पुरुषपुर और मथुरा ।

 चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के शासन काल में कुंडल वन में वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई ।




 अश्वघोष कनिष्क का राजकवि था ।

 कनिष्क के राजवैद्य चरक है ,  जिन्होंने चरक संहिता की रचना की ।

 कनिष्क के शासन काल में कला की दो स्वतंत्र शैलियों  का विकास हुआ (1)  गांधार शैली  एवं  (2) मथुरा कला शैली ।


 वासुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था ।



 नागार्जुन की तुलना मार्टिन लूथर से की गई है  ।


इन्हें भारत का आइंस्टीन भी कहा जाता है ,  इनकी प्रसिद्ध कृति माध्यमिक सूत्र है ।

Friday, 22 September 2017

भारत की प्रमुख झीलें by bajrang Lal

भारत की प्रमुख झील

 कश्मीर -----  डल  झील  ,  बेरीनाग  ,  नागिन  ,  अनंतनाग  , वुलर  , मानसबल  , शेषनाग


शोर्ट ट्रिक्स ---
मानस वुड का कश्मीरी नाग

 मानस --- मानसबल झील
  वु ---  वुलर झील
ड ---   डल  झील
 कश्मीरी --  जम्मू कश्मीर
 नाग -- नागिन झील ,   अनंतनाग
  झील बेरीनाग  झील शेषनाग झील





 राजस्थान ---  राजसमंद   , सांभर , जयसमंद  , डीडवाना , पिछोला , लुणकसर , फतेहसागर

शोर्ट ट्रिक्स ---  फजलु की साडी के पीछे राज

फ    -- फतेहसागर झील
ज    --- जयसमंद झील
लु   --- लूणकरणसर झील
सा   -- सांभर झील
डी  --' डीडवाना झील
पीछे   --- पिछोला झील
 राज --  राजसमंद झील



 उत्तराखंड ---  नैनीताल , मालाताल , नौकुछियाताल , सातताल,  राकसताल ,  देवताल , खुरपाताल


शोर्ट ट्रिक्स ---  ताल से संबंधित जितनी भी झील है वो उत्तराखंड में है ।


 आंध्रप्रदेश  -- कोलेरूझील ,  हुसैन सागर

 महाराष्ट्र --- लोनार झील

 मणिपुर ---  लोकोटक

 उड़ीसा ----  चिल्का

केरल ----  बेंबनाड

 तमिलनाडु  --- पुलीकट

शोर्ट ट्रिक्स ---   अंधे को हुक्को -- मल्लो  --मणि लॉक -- उङी चिङिया-' पुत -- के अष्टबिंब


अंधे -- आंध्र प्रदेश
 हु -- हुसैन सागर झील
क्को -- कोलेरू झील
 म -- महाराष्ट्र
ल्लो -- लोनार झील
मणि  --- मणिपुर
लॉक -- लोकटक झील
उङी --- उड़ीसा
चिङिया --- चिल्का झील
पु --- पुलिकट झील
त --- तमिलनाडु
 के -- केरल
अष्ट -- अष्टमुदी झील
बिंब --- वेंबनाड झील
 


 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर





2.   उत्तर पूर्वी भारत की सबसे बड़ी झील लोकटक किस राज्य में स्थित है  ?
उत्तर --- मणिपुर ।

3.   उमियम झील किस राज्य में स्थित है ?
 उत्तर --- मेघालय ।

4.   प्रसिद्ध  झील चिल्का किस राज्य में स्थित है ?
 उत्तर---  उड़ीसा ।

5.   भारत में ताजे जल की सबसे बड़ी झील वूलर किस राज्य में स्थित है ?
 उत्तर --- जम्मू कश्मीर ।

6.   लोनार झील किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर --- महाराष्ट्र ।

7.   विश्व प्रसिद्ध खारे पानी की झील सांभर किस राज्य में स्थित है ? ( SSC 2002 )
  उत्तर --- राजस्थान ।

8.   बेम्बनाड झील किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर ---  केरल ।

9.   कोलेरू झील किस राज्य में स्थित है  ?
उत्तर --- आंध्र प्रदेश ।

10.   जवाहर सागर ,  राणा प्रताप सागर तथा गांधी सागर जलाशय किस नदी पर निर्मित है ? ( RRB 2002 )
उत्तर ---  चम्बल नदी ।

11.  भारत में सबसे बड़ी  झील कौन सी है ?
                        ( SSC 2011 )
 उत्तर --- चिल्का ।

12.  लोकटक क्या है  ?
उत्तर -- एक झील है  जो मणिपुर में स्थित है ।

13.   अष्टमुदी झील किस प्रकार की झील है ? ( IAS 2002 )
 उत्तर -- खारे पानी की ।

14.   हैदराबाद एवं सिकंदर के बीच कौन से जिले स्थित है ?
उत्तर ---  हुसैन सागर ।

15.  भारत की प्रसिद्ध लैगून झील कौन सी है ?
               ( SSC 1999 )
 उत्तर ---  चिल्का झील ।

16.   पश्चिमी तट पर स्थित झील है  ?  ( NDA 2014 )
उत्तर -- अष्टमुदी ।


17.   नागिन झील किस राज्य में स्थित है ? (SSC 2013 )
उत्तर -- जम्मू कश्मीर । 

Saturday, 9 September 2017

भारत में कृषि by bajrang Lal

भारत में कृषि


 राष्ट्रीय कृषि नीति 2000

 केंद्र सरकार ने इस नीति की घोषणा 28 जुलाई 2000 को की थी ।


 इसमें अगले दो दशकों के लिए कृषि क्षेत्र में 4% की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है ।

 इस कृषि नीति का वर्णन इंद्रधनुषी क्रांति के रूप में किया गया है ।

 हरित क्रांति ------------ खाद्यान्न उत्पादन

श्वेत क्रांति ----------------- दूध उत्पादन

पीली क्रांति -----------  तिलहन उत्पादन

 लाल क्रांति ------- मांस / टमाटर उत्पादन

 गुलाबी क्रांति ---------- झींगा उत्पादन

भूरी क्रांति ----------- गैर परंपरागत ऊर्जा

गोल क्रांति --------- आलू  उत्पादन

 रजत क्रांति  -----अंडा / मुर्गी उत्पादन

 सुनहरी क्रांति  -------- फल उत्पादन

ग्रे क्रांति ----------- उर्वरक

खाद्यान क्रान्ति  ----  सब्जी फलों आदि को सड़ने से बचाना ।



 सीमांत जोत  -------- एक हेक्टेयर से कम

लघु जोत ----------  एक से 2 हेक्टेयर

मध्यम जोत  ------ 2  से 10 हेक्टेयर

वृहत जोत -------- 10 हेक्टेयर से अधिक



हरित क्रांति

अमेरिकी वैज्ञानिकविलियम गैड  ने सर्वप्रथम 1960 में हरित क्रांति शब्द का प्रयोग किया था ।

 डॉक्टर नॉर्मन बोरलॉग  हरित क्रांति का जनक कहा जाता है ।

 डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है ।

 भारत में 1966-67 में हरित क्रांति का प्रारंभ हरियाणा , पंजाब एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की खेती से शुरू हुआ ।



भारत के अनेक राज्यों में कर्तन दहन प्रणाली के नाम

 मध्य प्रदेश --- ------  बेबर दहिया

आंध्र प्रदेश  --------- पोडु , पेंडा

 उड़ीसा----  पामाडाबी  , कोमान ,  बरीगाँ


पश्चिमी घाट  --------- कुमारी

 हिमालय क्षेत्र ------  खिल

 झारखंड  ------- कुरुवा

राजस्थान  ------- वालरे ,   वॉल्टरे

 पूर्वी प्रदेश -------  झूम

मणिपुर --------- पामलू

 छत्तीसगढ़ -------रीप

शोर्ट ट्रिक ----- वा रे वा बेदम छोरी , पाँच मण झुमा पपू ।  मैं क्या झाँकू आप पे पड़ा फाड़ू( पाड़ू ) कोबरा , पघ पे क्यूं खिले हिम ।।

वा ---- वालरे
रे ------ राजस्थान
वा ------- वाल्टरे
बे -------- बेबर
द -------- दहिया
म ------- मध्य प्रदेश
छो ----- छतीसगढ़
री ------- रीप
______________
पाँच ------- पामलू
मण ------ मणिपुर
झुमा ------ झुम
पपू ----- पूर्वी प्रदेश

-__________
मैं
क्या
झां ---- झारखण्ड
कू --- कुरुवा
आप  ----- आन्ध्र प्रदेश
पे ------- पेंडा
पड़ा ------ पोंडु
फा--------- पामाडाबी
ड़ू ---------- उड़ीसा
को -------- कोमान
बरा ----- बरीगाँ
--_-----------------------
पघ ------ पश्चिम घाट
पे
क्यूं ------- कुमारी
खिले ------ खिली
हिम ------- हिमाचल प्रदेश



मैक्सिको एवं मध्य अमेरिका --- मिल्पा

वेनेजुएला -------       कोनुको

ब्राजील     ---------    रोका

 मध्य अफ्रीका --------  मसोले

 इंडोनेशिया ------  लदांग

 वियतनाम ---------  रे

 खरीफ ------       जुलाई  -अक्टूबर


 रबी -------        अक्टूबर - अप्रैल

जायद    -----     मार्च- जून



 खाद्यान फसलें


 चावल



पश्चिम बंगाल  ,
उत्तर प्रदेश
आंध्र प्रदेश
तापमान 24 डिग्री सेंटीग्रेड
 वर्षा 150cm वार्षिक
मिट्टी दोमट मिट्टी

 ट्रिक -- दो बच्चों से उपर आप ।

दो ----- दोमट मिट्टी
ब ------ बंगाल
च्चों ----- चावल
उपर ---- उतर प्रदेश
आप --- आन्ध्र प्रदेश



 गेहूं

 उत्तर प्रदेश
पंजाब
 मध्य प्रदेश
10- 15 डिग्री सेंटीग्रेड
 50-75 cm वार्षिक वर्षा
कांप की मिट्टी

 ट्रिक --- उगे  कांप भरे पंजे म गेहूँ ।

उगे ------ उतर प्रदेश
कांप ---- कांप की मिट्टी
पंजे ------ पंजाब
 म ------- मध्य प्रदेश
गेहूँ ------ गेहूँ







 ज्वार

27- 32 डिग्री सेंटीग्रेड
 कर्नाटक
 महाराष्ट्र
मध्य प्रदेश
 30- 65 cm वार्षिक वर्षा
काली मिट्टी

ट्रिक --ज्वां कम हैं हम

ज्वां ----- ज्वार
क ------ कर्नाटक
म ह-------- महाराष्ट्र
हम ------ मध्य प्रदेश



 बाजरा

 हरियाणा
मध्य प्रदेश
गुजरात
25- 31 डिग्री सेंटीग्रेट
 40- 50cm वार्षिक वर्षा

ट्रिक ---- वो बहरा म गुंगा ।

ब ------- बाजरा
हरा------ हरियाणा
म_-- मध्य प्रदेश
गुंगा ------ गुजरात



 मक्का

आंध्र प्रदेश
कर्नाटक
महाराष्ट्र
 दोमट मिट्टी
21- 27 डिग्री सेंटीग्रेड
 50- 75 CM वार्षिक वर्षा



 जौ

10-18°c
50-75 cm वर्षा

राजस्थान
 उत्तर प्रदेश
 हरियाणा

ट्रिक -- राह उपर जो  है ।
 राह ----- राजस्थान
उपर ---- उतर प्रदेश
जो ---- जौ
है ------ हरियाणा



 चना
 मध्यप्रदेश
राजस्थान
 महाराष्ट्र
 10 - 18 डिग्री सेंटीग्रेड
70- 90 CM वार्षिक वर्षा

ट्रिक ---- चरम पर राम

चर------ चना
म------- मध्य प्रदेश
रा ------- राजस्थान
म ----- मध्य प्रदेश

 अरहर

महाराष्ट्र
 कर्नाटक
 मध्य प्रदेश
 20 - 25 डिग्री सेंटीग्रेड
40-80 cm वर्षा

 ट्रिक --- आमतौर पर सबसे महान कर्म ही है।

आमतौर ----- अरहर
महान ------ महाराष्ट्र
कर्----- कर्नाटक
म------ मध्य़ प्रदेश


चाय

असम
पश्चिम बंगाल
 तमिलनाडु
 24- 30 डिग्री सेंटीग्रेड
150-250 cm वर्षा

आलीं  चाय बेहतर है।

चाय ----- चाय
अांली ----- आसाम
बै------- बंगाल
हतर ----- तमिलनाडु



 कहवा

 कर्नाटक
 असम
तमिलनाडु
 16 - 18 डिग्री सेंटीग्रेड
150 - 250 CM वर्षा

 ट्रिक --- कहो क्या कसर रह गयी तुम्हारी

कहो ---- कहवा
क ------ कर्नाटक
सर ------ आसाम
तुम्हारी ---- तमिलनाडु


 प्राकृतिक रबड़

केरल
कर्नाटक
 त्रिपुरा
25 - 35 डिग्री सेंटीग्रेड
 300 cm वर्षा

ट्रिक --- रब के कारण त्रिमूर्ति ।

रब ---- रबड़
के ----- केरल
कारण ---- कर्नाटक
त्रिमूर्ति ---- त्रिपुरा



 गन्ना

उत्तर प्रदेश
 महाराष्ट्र
कर्नाटक
20 - 26 डिग्री सेंटीग्रेड
150 CM वर्षा

ट्रिक --- उमाह् के कारण चली बंदूक ।

उ ----- उतर प्रदेश
माह् ---- महाराष्ट्र
कारण --- कर्नाटक
गन्न --- गन्ना


 कपास

 गुजरात
महाराष्ट्र
आंध्रप्रदेश
21 - 30 डिग्री सेंटीग्रेड
50- 75 CM बरसा

ट्रिक --- कहां गुम हो गए आप ?

कहां ----- कपास
गु ---- गुजरात
म ---- महाराष्ट्र
आप ---- आन्ध्र प्रदेश


 जूट

पश्चिम बंगाल
 बिहार
आसाम
 24 - 35 डिग्री सेंटीग्रेड
 125- 20 सेमी वर्षा





Thursday, 7 September 2017

गुप्तोतर काल by bajrang Lal

            गुप्तोत्तर काल


 छठी शताब्दी के मध्य तक गुप्त साम्राज्य पूर्णतः  विभक्त  हो गया और उत्तर भारत फिर  अनेक राज्यों में बंट गया ।


(1)  वल्लभी में मैत्रक वंश , (2)  पंजाब में हुणों का शासन  (3) कन्नौज में मौखरि वंश (4) मालवा में यशोवर्मन

 वर्ध्दन  राजवंश ( पुष्यभूति वंश)


 पुष्यभूति -- इस  वंश का संस्थापक था , इसने थानेसर में इस वंश की स्थापना की ।




प्रभाकरवर्ध्दन   ---यह वर्ध्दन वंश की शक्ति और प्रतिष्ठा का संस्थापक था ।


 प्रभाकरवर्ध्दन  की पत्नी यशोमती से 2 पुत्र राज्यवर्धन एवं हर्षवर्धन तथा एक कन्या राज्यश्री उत्पन्न हुई ।

 राज्यश्री का विवाह कन्नौज के मौखरि नरेश ग्रहवर्मन से हुआ ।




राज्यवर्ध्दन --  अपने पिता की मृत्यु के बाद राज्यवर्ध्दन  गद्दी पर बैठा ।

 इसी समय मालवा नरेश देवगुप्त ने ग्रहवर्मन की हत्या कर राज्यश्री को कैद कर लिया ।


 राज्यवर्धन ने देवगुप्त को पराजित कर दिया परंतु देवगुप्त के मित्र गौर शासक संसार ने धोखे से राज्यवर्धन की हत्या कर दी ।



 हर्षवर्धन

हर्षवर्धन वर्धन वंश का शक्तिशाली एवं  यशस्वी सम्राट था मात्र 16 वर्ष की आयु में वह एक विकट परिस्थितियों में गद्दी पर बैठा ।

 वह अपने को राजपुत्र कहता था , तथा उसने अपना नाम शिलादित्य रखा ।

 हर्ष ने अपने आचार्य दिवाकरमित्र की सहायता से राज्यश्री को खोज निकाला ।

 हर्ष ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया ।

हर्ष  को पूर्वी भारत में गौड़  देश के शैव राजा शंशाक  से मुकाबला करना पड़ा ।

 619 ईस्वी में शंशाक  की मृत्यु हुई तब यह  शत्रुता समाप्त हुई ।

 दक्षिण की  ओर हर्ष के अभियान को नर्मदा के किनारे चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन द्वितीय ने रोका और हर्ष को पराजित किया ।


 हर्ष के समकालीन शासक

भास्कर वर्मा

पुलकेशिन द्वितीय

गौड़ नरेश शंशाक

  ध्रुवसेन द्वितीय

 चीनी यात्री हेनसांग हर्ष के समय भारत आया था ।

 हेनसांग ने शूद्रों को कृषक कहा था ।

 हेनसांग  को यात्रियों का राजकुमार  , नीति का पंडित एवं वर्तमान शाक्यमुनि कहा गया है ।

  हर्ष ने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को अपना सरंक्षण प्रदान किया ।

 बाणभट्ट ने हर्षचरित एवं कादंबरी की रचना की ।

 मयूर ने सूर्यशतक की रचना की ।

भारत की मिट्टियाँ by bajrang Lal

           भारत की मिट्टियां


 मृदा के अध्ययन को मृदा विज्ञान ( pedology )  कहते हैं ।

मर्दा जनन एक जटिल तथा निरंतर होने वाली प्रक्रिया है ।


 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR )  ने 1986 में देश में आठ प्रमुख मिट्टियों की पहचान की है ।



 जलोढ़ मृदा _---------------------  46%

काली मृदा -----------------------   20%

 लाल मृदा  ------------------------18 %

लेटराइट मृदा ---------------------- 3.70%

मरुस्थलीय मृदा _--------------------- 4%

पर्वतीय मृदा ------------------------------- 5.5%

भूसर एवं भूरी मृदा

हिम क्षेत्र. ----------------------------------- 1.20%



 जलोढ़ मिट्टी

जलोढ़ मिट्टियाँ  विशाल मैदानों  , नर्मदा , ताप्ती , गोदावरी , महानदी , कृष्णा , कावेरी की घाटियों में एवं केरल के तटवर्ती भागों में पाई जाती है ।


  शोर्ट ट्रिक --- कृष्ण का जल में गोता खाने का मन किया

 कृष्ण -- कृष्णा नदी
 जल --- जलोढ़ मिट्टी
गो ---- गोदावरी नदी
 ता --- ताप्ती नदी
म ----  महानदी
न ----  नर्मदा नदी
किया ---  केरल


 यह मिट्टियां नदियों द्वारा अपरदित पदार्थों से निर्मित है।


 इसमें पोटास तथा कैल्शियम की प्रचुरता तथा नाइट्रोजन एवं ह्यूमस की कमी पाई जाती है ।
,
 यह मिट्टी धान ,  गेहूं , तिलहन , गन्ना , दलहन , अादि की खेती के लिए उत्तम है ।


  शोर्ट ट्रिक ------  गधा खाए तिल की गेंद

  ग---  गन्ना
 धा ---  धान
तिल ---- तिल
 गे ---    गेहूं
द ---  दलहन






 काली मिट्टी

काली मिट्टी का विकास महाराष्ट्र , पश्चिमी मध्य प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु में दक्कन लावा के अपक्षय से हुआ है ।

शोर्ट ट्रिक ----- आप गुमराह मत करो

 आप  --- आंध्र प्रदेश
 गु ---  गुजरात
  म ---  मध्य प्रदेश
  रा ---  राजस्थान
म --- महाराष्ट्र
त ---  तमिलनाडु





 इसे स्थानीय रूप से रेगुर या काली कपास की मिट्टी कहते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय रूप से उष्ण कटिबंधीय चरनोजम कहा जाता है ।


 यह मिट्टियां लौह तत्व , कैल्शियम , पोटाश , एलुमिनियम तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से समृद्धि एवं नाइट्रोजन , फास्फोरस और जैविक पदार्थ की कमी होती है ।


 इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है जो गीली होने पर चिपचिपी एवं सुखने पर  इसमें दरारें  उत्पन्न हो जाती है ।


 इनमें उर्वरता अधिक होती है ।

यह मिट्टी कपास , तूर , तंबाकू , मोटे अनाज एवं अलसी की खेती के लिए उपयुक्त हो रहती है ।

शोर्ट ट्रिक -- मोटा आलसी तू पास तो आ

   पास----------   कपास
आलसी ------------- अलसी
मोटा -------------- मोटा अनाज
तू -------------- तूर
तो----------- तन्बाकू




 लाल मिट्टी

 यह मिट्टी तमिलनाडु , कर्नाटक , महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश , उड़ीसा , झारखंड के व्यापक क्षेत्र में पाई जाती  है ।

शोर्ट ट्रिक -----  उड़ीसा तक आप झाम पाओगे।

आप ------ आन्ध्र प्रदेश
उड़ीसा  ----- उड़ीसा
त ---------- तमिलनाडु
क ---------- कर्नाटक
झा ----------- झारखण्ड
म ----------- महाराष्ट्र



 यह ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों के  विखंडन एवं वियोजन से बनी है ।

 इसका लाल रंग लोहे के आक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है ।



 इस मिट्टी में लोह तत्व  एवं एलुमिनियम अधिक होता है किंतु जीवनांश पदार्थ और नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की कमी पाई जाती है ।


 यह अत्यधिक निक्षालित मिट्टियां है ।


यह बाजरे जैसी खाद्यान्न फसलों के लिए उपयुक्त होती हैं ।




 लेटराइट मिट्टी

भारत में यह मिट्टी मेघालय पठार ,  पश्चिमी तथा पूर्वी घाट के क्षेत्रों में पाई जाती है ।

 इनका स्वरूप एक जैसा होता है  , भीगने पर यह कोमल एवं सूखने पर कठोर हो जाती है ।


 यह मिट्टियां लौह एवं एलुमिनियम से समृद्ध किंतु नाइट्रोजन , पोटाश , पोटेशियम , चूना  एवं जैविक पदार्थ की कमी होती है ।


इनकी उर्वरता कम होती है , परन्तु उर्वरक के उपयोग से काजू जैसी फसलें उगाई जा सकती है ।




 पर्वतीय मिट्टी


 यह मुख्यतः हिमालय , पश्चिमी घाट , पूर्वी घाट एवं  प्रायद्वीपीय भारत की अन्य पर्वत श्रेणियों पर पाई जाती है ।


 इसमें इनमें जीवांस की अधिकता एवं पोटाश   , फास्फोरस  एवं चुना की कमी पाई जाती है ।


 यह मिट्टी चाय , कहवा , मसाला तथा फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है ।


शोर्ट ट्रिक ----- कच्चा मसाला पर्वत पर नहीं फैल सकता ।

क ------------- कहवा
चा ------------ चाय
मसाला -------- मसाला
पर्वत ---------- पर्वतीय मिट्टी
फैल -------- फल


 मरुस्थलीय मिट्टी


मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार , राजस्थान , सौराष्ट्र  ,कच्छ , हरियाणा और दक्षिणी पंजाब में है ।

शोर्ट ट्रिक --- मरुस्थल में सौ राष्ट्र का पहरा भी कम है  ।

मरुस्थल ----- मरुस्थलीय मिट्टी
सौ राष्ट्र ------------ सौराष्ट्र
प -------------- पंजाब
ह ------------   हरियाणा
रा --------_----- राजस्थान
कम ----------- कच्छ


 यह बजरी युक्त मिट्टी है जिसमें नाइट्रोजन एवं जैविक पदार्थों की कमी तथा केल्सियम कार्बोनेट की भिन्न मात्रा पाई जाती है ।


 इनमें केवल मिलेट , बाजरा , ज्वार तथा मोटे अनाज ही उगाए जाते हैं ।

शोर्ट ट्रिक --- बाजरा मिले तो मोटा हो जांवा ।

बाजरा ------------ बाजरा
मिले -------------- मिलेट
मोटा ------------ मोटा अनाज
जांवा ---------- ज्वार



 पेट एवं दलदली मृदा

यह मृदा वर्षा ऋतु में जलमग्न होने वाले क्षेत्रों में पाई जाती है ।

 यह मिट्टियां काली भारी एवं अत्यधिक अम्लीय  होती है ,  धान की खेती के लिए उपयुक्त होती हैं ।


 यह मिट्टियां केरल में मिलती है ।



 लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी

यह मिट्टियां पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के शुष्क भागों में पाई जाती है ।

शोर्ट ट्रिक -- उपमा ने हरि का पंजा लक्ष से धोया ।

उप----- उतर प्रदेश
मा ------- महाराष्ट्र
हरि ------- हरियाणा
पंजा -------- पंजाब
 लक्ष ---- लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी

 यह रहे कलर  , उसर  राथड़ , थूर ,  चोपन स्थानीय नामों से जानी जाती है ।

 इनमें चावल , गेहूं , कपास , गन्ना , तंबाकू फसलें उगाई जाती है ।


Wednesday, 6 September 2017

प्राकृतिक वनस्पति by bajrang Lal

प्राकृतिक वनस्पति

 भारत में निम्न प्रकार की वनस्पति पाई जाती है---

 (1) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन

(2) उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन

(3) उष्णकटिबंधीय घास के मैदान

(4) शुष्क मरुस्थलीय कांटेदार वनस्पति

 (5) डेल्टाई वन ( मैंग्रोव वन )

 (6) पर्वतीय वन


   

              उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन

 यह वन भारत के उन भागों में पाए जाते हैं  , जहां 200 सेमी से अधिक वर्षा एवं 24 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पाया जाता है ।


  इन वनों में सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है ।

 यह वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल , लक्षद्वीप , अंडमान निकोबार दीप  ,असम के ऊपरी भाग और तमिलनाडु के तट तक सीमित है ।

शोर्ट ट्रिक -- अंडा सदा तलकर खाने से ही असर होता है ।

अंडा ---------- अंडमान निकोबार दीप
त-------- तमिलनाडु
ल --------- लक्षदीप
असर --------असम


 इन वनों में  एबोनी , महोगनी ,  रोजवुड  ,रबड़  और सिंकोना पाए जाते हैं ।

शोर्ट ट्रिक --- रोज एेसे ही रब से मोह करो ।

रोज---- रोजवुड
ऐ --------- एबोनी
से --------- सिंकोना
रब -------- रबड़
मोह -------- महोगनी

          उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन

 यह वन भारत के सबसे बड़े भाग में फैले हुए हैं , जो 100-200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं ।


 यह वन ग्रीषम ऋतु में 6 से 8 सप्ताह के लिए अपनी पत्तियां गिरा देते हैं  ।


यह वन  हिमालय के गिरीपद प्रदेशों  , झारखंड , पश्चिमी  उड़ीसा ,  छत्तीसगढ़ एवं पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों में पाए जाते हैं ।

शोर्ट ट्रिक ------- छंटे हुए पत्ते झाड़ू से गिरा दिए

छंटे-------- छतीसगढ़
झा ----------- झारखण्ड
ड़ू------------ उड़ीसा
गिरा दिया  -------- गिरिपद प्रदेश


 यहां पाए जाने वाले वृक्ष -- सागवान  , बाँस  , साल शीशम ,  चंदन , कुसुम , अर्जुन तथा शहतूत ।

शोर्ट ट्रिक --- अरज् किया है , बाँकू की साश शीसे ( शीसा ) में चाँदनी लगी ।

अरज् ---- अर्जुन
बाँ ------- बाँस
कू --------- कुसुम
सा ------ साल
श-------- शहतूत
शी --------- शीशम
सा--------- सागवान
चाँदनी  -------- चंदन





 उष्णकटिबंधीय घास के मैदान

यह घास के मैदान 50-100 सेमी  वर्षा वाले मैदानी भागों में पाए जाते हैं ।

 इस प्रकार की वनस्पति कर्नाटक , आंध्र प्रदेश ,  मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठारी भाग में पाई जाती है ।

शोर्ट ट्रिक ----- आपकी छतरी भी कम नहीं ।

आप ------- आन्ध्रप्रदेश
छतरी ------- छतीसगढ़
क----------- कर्नाटक
म ------------- मध्यप्रदेश








 शुष्क मरुस्थलीय कांटेदार वनस्पति

 जिन क्षेत्रों में 50 सेमी से कम वर्षा होती है वहाँ  इस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।

 भारत में ये वन राजस्थान , गुजरात , छत्तीसगढ़ , उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अर्ध शुष्क भागों में पाए जाते हैं ।

शोर्ट ट्रिक ---  काँटे का गुच्छा उपर से हरा होता है।

गु -------- गुजरात
छा -------- छतीसगढ़
उपर ---------- उतर प्रदेश
ह ------------- हरियाणा
रा ------------- राजस्थान



 प्रमुख वृक्ष है अकासिया , खजूर , यूफोरिया , नागफनी तथा  खेजड़ा ।

शोर्ट ट्रिक ----- ज्यादा अन्न खा गए तो यू फोर खेड़ा

अ ------------- अकासिया
न ------------- नगफनी
खा  ------------- खजूर
यू फोर ---------- यूफोरबिया
खेड़ा  -------------- खेजड़ा


 डेल्टाई वन मैंग्रोव वन

 यह वनस्पति गंगा , ब्रह्मपुत्र , महानदी ,  गोदावरी , कृष्णा एवं  कावेरी नदियों के डेल्टा भागों में पाई जाती है ।


 गंगा- ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं । ( यह क्षेत्र रॉयल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है )




 इन दोनों में ताड़ , कैसूरीना , नारियल  , क्योडा ,  व एंगोर के वृक्ष उगते हैं ।


शोर्ट ट्रिक ---- नारा लगाके क्यूँ  अंगारा ताकै हो

नारा ------ नारियल
क्यूँ ------- क्योड़ा
अंगारा ----- एंगोरा
ता-------- ताड़
कै --------- कैसूरीना


 और युवती हवन हवन हिमालय पर्वत पर उगते हैं ।

 उँचाई  के साथ साथ प्राकृतिक वनस्पति में अंतर भी दिखाई देता है

1500 मी तक  ----सदाबहार एवं पतझड़  वन

1500-2500  मी तक ----- शीतोष्ण कटिबन्धीय  वन

2500-4500 मी तक ------  कोणधारी  वन

 4500-4800 मी तक -------  टुण्ड्रा  वन

Tuesday, 5 September 2017

मौर्योतर काल by bajrang Lal

                 मौर्योत्तर काल


मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहद्रथ  की हत्या करने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व में शुंग वंश की स्थापना की ।


 शुंग वंश शुंग वंश का संस्थापक पुष्यमित्र शुंग था ।

 शुंग वंश की राजधानी विदिशा में थी ।

 पुष्यमित्र के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना यवनों का भारत पर आक्रमण था ।

 यवन विजय के उपलक्ष्य में पुष्यमित्र ने दो अश्वमेघ  ￶￰यज्ञ कराए ।



 कालिदास कृत माल्विकाग्निमित्रम् के अनुसार पुष्यमित्र शुंग का पौत्र वसुमित्र ने यमवनों को परास्त किया था ।

 पुष्यमित्र के पुरोहित पतंजलि ने पाणिनी की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य की रचना की थी ।

 उससे मित्र के समय ही सांची के स्तूप का आकार दुगुना कराया गया था ।

 शुंग काल में संस्कृत भाषा एवं ब्राह्मण व्यवस्था का पुनरुत्थान हुआ  ।

इसी काल में पहला स्मृति ग्रंथ मनुस्मृति की रचना की गई ।

 शुंग वंश का अंतिम शासक देववती था ।

 इसकी हत्या 73 इससे पूर्व में उसके अमात्य वासुदेव ने कर दी तथा कण्व वंश की स्थापना की ।


     

                  कण्व वंश


 इस वंश की स्थापना वासुदेव ने की थी ।


 इस वंश के अंतिम शासक सुशर्मा था , जिसकी हत्या सातवाहन नरेश शिमुक ने कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की ।


                         सातवाहन वंश


 इस वंश का संस्थापक से शिमुक था  ।

उनकी राजधानी गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठान ( औरंगाबाद )  थी ।


                 प्रमुख शासक


 शातकर्णी प्रथम -

यह इस वंश का एक महान शासक था  ,जिसने दो अश्वमेघ यज्ञ तथा एक राजसूय यज्ञ संपन्न कराएं ।



 इसने चांदी के सिक्कों पर अश्व  की आकृति अंकित  करवाई ।

 सातकर्णि ने दक्षिणापथ का स्वामी की उपाधि धारण की ।

 नाणेघाट शिलालेख में इनकी उपलब्धियों का वर्णन विस्तार से किया गया है ।




 हाल प्रथम --


 हाल सातवाहन वंश का 17 वां शासक था इसने प्राकृत ग्रंथ गाथा सप्तशती की रचना की जिसमें 700 श्लोक हैं ।


 हाल के दरबार में ही गुणाढ्य निवास करते थे जिन्होंने वृहत्तकथा की रचना की थी ।





 गौतमीपुत्र सातकर्णि प्रथम --

सातवाहन वंश का पुनरुद्धार गौतमीपुत्र के समय में हुआ ।

 उसने क्षहरात वंश का नाश किया क्योंकि उसका शत्रु नहपान इसी  वंश का था ।

उसने शकों  से मालवा और काठियावाड़ भी छीन लिया ।


 नासिक अभिलेख में गौतमीपुत्र सातकर्णि की विजय का उल्लेख है ।




 यज्ञश्री सातकर्णी  --


यह सातवाहन वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था जिसने सिक्कों पर मछली  , शंख एवं  जहाज अंकित करवाया ।

 सातवाहन वंश का अंतिम शासक पुलवामा चतुर्थ था ।




                 विविध तथ्य

 सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी  , जो कि ब्राह्मी लिपि में थी ।

 सातवाहन काल में चांदी व तांबे के सिक्कों का प्रयोग होता था जिसे कार्षापण कहा जाता था ।

 सातवाहनों ने आर्थिक लेनदेन के लिए सीसे के सिक्कों का भी प्रयोग किया ।

 सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम ब्राह्मणों को भूमि दान या जागीर देने की प्रथा शुरू की ।

 सातवाहनों में मातृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था थी ।


 प्रमुख वास्तुकला  --- कार्ले का चैत्य  ,अजंता  व एलोरा की गुफाओं का निर्माण  , अमरावती एवं नागार्जुन कोंड के स्तूपों का निर्माण ।

भारत का भौगोलिक परिचय by bajrang Lal

भारत का भूगोल

भारत का भौगोलिक परिचय



 भारत विश्व का अकेला देश है जिसका नाम हिंद महासागर से जुड़ा है ।


 आकृति स्थिति एवं विस्तार


भारत की आकृति चतुष्कोणीय है।



 अक्षांश की दृष्टि से भारत उत्तरी गोलार्ध का देश है तथा देशांतर की दृष्टि से पूर्वी गोलार्ध के मध्य में है ।

 इसका विस्तार दक्षिण में 8°4' से उत्तर में37°6' उत्तरी अक्षांश तथा पश्चिम में 68°7' से पूर्व में 97°25'  पूर्वी देशांतर के बीच है ।


 देश का मानक समय  82 1/2 डिग्री पूर्वी देशांतर है जो नैनी से गुजरता है यह ग्रीनविच समय से 5 घण्टे30 मिनट आगे है ।

 भारतीय मानक समय से गुजरने वाले राज्य ---उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा एवं आंध्र प्रदेश
हैं।

  भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है ।

 क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व का सातवां बड़ा देश है इसका क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का 2.42 प्रतिशत  है।

 भारत से बड़े क्षेत्रफल वाले देश-- रूस,  कनाडा , चीन , अमेरिका , ब्राजील एवं ऑस्ट्रेलिया है ।।

 इसका विस्तार उत्तर-दक्षिण दिशा में 3214 किलो मीटर है तथा पूर्व- पश्चिम दिशा में 2933 किलोमीटर है ।

 भारत की स्थल सीमा की लंबाई 15200 किलोमीटर है , इसके मुख्य भूमि की तटीय सीमा की लंबाई 6100 किलोमीटर है , देश की कुल तटीय सीमा की लंबाई 7516.6 किलोमीटर है ।

 भारत की कुल सीमा 22716.6 किलोमीटर है ।



भारत का पड़ोसी देशों के साथ सीमा विस्तार


 भारत-बांग्लादेश---------- 4096.7 किलोमीटर

भारत ---चीन_------------------3488 किमी

भारत ---पाकिस्तान-----------3323 किमी

 भारत --- नेपाल -------------1751 किमी

भारत ----- म्यांमार ----------1643 किमी

 भारत ------ भूटान  --------- 699 किमी

भारत ----- अफगानिस्तान ------- 80 /  किमी य
 106  किमी

सीमा लगने वाले देश अवरोही क्रम में


बच्ची पाने के लिए मामा की भू ने अफरा तफरी मचा दी ।

ब -------- बाँग्लादेश
ची------ चीन
पा ------- पाकिस्तान
ने --------- नेपाल
मामा ------- म्यांमार
भू ---------- भूटान
अफरा ---- अफगानिस्तान




 भारत के अंतिम सीमा बिंदु

 दक्षिणतम ------ बिंदु इंदिरा पॉइंट ( निकोबार दीप )

उत्तरी बिंदु  - -------- इंदिरा कॉल ( जन्मू - कश्मीर )

 पश्चिम बिंदु --------- गौर माता ( गुजरात )

पूर्वी बिंदु --------- किबिथु  (अरुणाचल प्रदेश )


 मुख्य भूमि का दक्षिणतम सीमा --- कन्याकुमारी (तमिलनाडु )



     पड़ोसी देशों की सीमा पर स्थित भारतीय राज्य


(1)   चीन ---जम्मू कश्मीर  ,हिमाचल प्रदेश  , उत्तराखंड ,  सिक्किम  , अरुणाचल प्रदेश ।।



  नेपाल ---- उत्तर प्रदेश  , उत्तराखंड , बिहार , पश्चिम बंगाल ,  सिक्किम ।

(3)   बांग्लादेश  ---- पश्चिम बंगाल , असम , मेघालय , त्रिपुरा और मिजोरम ।


(4)   पाकिस्तान  ---- गुजरात , राजस्थान , पंजाब , जम्मू कश्मीर ।

शोर्ट ट्रिक -- पंगुराज

(5)   म्यांमार ----- अरुणाचल प्रदेश ,  नागालैंड , मणिपुर , मिजोरम ।


(6)  भूटान ----  सिक्किम , पश्चिम बंगाल , असम , अरुणाचल प्रदेश ।



(7)  अफगानिस्तान ---- जम्मू कश्मीर ।





        भारत के शीर्ष 5 क्षेत्रफल वाले राज्य


 राजस्थान ------- 3,42,239 वर्ग किलोमीटर

 मध्य प्रदेश -----3,08,242 वर्ग किलोमीटर

 महाराष्ट्र 3,07,713 वर्ग किलोमीटर

 उत्तर प्रदेश ---2,40,928  वर्ग किलोमीटर

जम्मू-कश्मीर ---- 2,22,236 वर्ग किलोमीटर


शोर्ट ट्रिक ---- रामम उपज

रा -------- राजस्थान
म ------- मध्यप्रदेश
म -------- महाराष्ट्र
उप --------- उतर प्रदेश
ज --------- जम्मू कश्मीर





          शीर्ष  पाँच क्षेत्रफल वाले जिले

 कच्छ  -----गुजरात ----- 45652  वर्ग किमी

 लेह  ------जम्मू-कश्मीर  ------- 43110 वर्ग किमी

 जैसलमेर -------  राजस्थान ------ 48313  वर्ग किमी

 बीकानेर ------- राजस्थान  ------ 28466 वर्ग किमी

 बाड़मेर -------- राजस्थान ------ 28 393 वर्ग किमी

शोर्ट ट्रिक ---- कलेजै बीकते हैं बाड़मेर में ।



        सिर्फ पाँच तट वाले राज्य / केंद्र शासित प्रदेश

 अंडमान निकोबार दीप ------ 1962 किमी

 गुजरात -----------     1074 किमी

आंध्र प्रदेश---------   970 किमी

तमिलनाडु ----------- 907.  किमी

महाराष्ट्र ----------------720 किमी






 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखाएं


 भारत चीन ------- मैकमोहन रेखा ---27 अप्रैल 1914

 भारत -- पाकिस्तान ---रेडक्लिफ रेखा 15 अगस्त 1947

 भारत ------अफगानिस्तान ---डूरंड रेखा-- विभाजन पूर्व
 अब यह रेखा पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के बीच है।




              प्रमुख चैनल

 इंदिरा पॉइंट -- इंडोनेशिया       ग्रेट चैनल

 लघु अंडमान निकोबार ----       10° चैनल

 मिनीकॉय लक्षद्वीप-------- 9 ° चैनल

 मालदीव मिनिकाय ----------  8° चैनल


 भारत-श्रीलंका ---- मन्नार की खाड़ी एवं पाक जलसंधि


 कर्क रेखा भारत के मध्य से गुजरती है,  यह 8 राज्यों से होकर गुजरती है जो हैं , गुजरात , राजस्थान , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , झारखंड , पश्चिम बंगाल,  त्रिपुरा और मिजोरम ।


शोर्ट ट्रिक ---- राम मित्र गुछ बांझ ।

रा--------- राजस्थान
म---------- मध्यप्रदेश
मि---------- मिजोरम
त्र ------------- त्रिपुरा
गु ------------ गुजरात
छ ----------- छतीसगढ़
बां ----------- बंगाल
झ ----------- झारखण्ड


        भारत की प्रादेशिक समुद्री सीमा

 यह आधार रेखा से 12 समुद्री मील की दूरी तक है इसके उपयोग का भारत को पूर्ण अधिकार है

 समग्र क्षेत्रीय--- यह आधार रेखा से 24 समुद्री मील दूर तक है यहां भारत को सीमा शुल्क की वसूली एवं वित्तीय अधिकार प्राप्त है ।

 अनन्य क्षेत्र---  यह आधार रेखा से 200 समुद्री मील तक है  , यहां भारत को वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्राकृतिक संसाधन के दोहन की छूट है ।

 उच्च सागर --- अनन्य आर्थिक क्षेत्र के बाद उच्च सागर है  ,जहां सभी देशों को समान अधिकार प्राप्त हैं ।

 एक समुद्री मील  =   8 किमी



         भारत में विदेशी क्षेत्रों का समावेश

15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता के बाद फ्रांस और पुर्तगाल के अधीन कई क्षेत्रों को भारत में शामिल किया गया  ।



 पुर्तगाल के अधीन क्षेत्र

 (1) दादर एवं नगर

(2) हवेली दमन एवं दीप

 (3) और गोवा


 फ्रांस के अध्ययन क्षेत्र

 (1) चन्देरनगोर

(2) कराईकल

 (3) यनम

(4) पांडिचेरी

(5) माहे


 मई 1987 को 56 वें संविधान संशोधन द्वारा गोवा भारत का 25वां राज्य बना ।


             प्रमुख तथ्य

 भारत का वह राज्य  ,जो तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा है ----- त्रिपुरा

 त्रिपुरा और बांग्लादेश की सीमा कहलाती है -- शून्य रेखा

 पाकिस्तान से लगे भारत के किस राज्य की सीमा सबसे लंबी है  -----जम्मू कश्मीर (1225 कि मी)



 भारतीय उपमहाद्वीप में शामिल देश हैं , भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश , नेपाल  एवं भूटान ।


 भारत का दक्षिणतम बिंदु स्थित है-- 6 °4 ' उत्तरी अक्षांश पर

 भारतीय राज्यों की संख्या जो पड़ोसी देशों की सीमाओं से जुड़े हैं  --- 17 राज्य

 भारत का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार क्रमशः है---  29°2' एवं 29°18'

 पांडिचेरी केंद्र शासित क्षेत्र में सम्मिलित है---  माहे ,  कराईकल , पांडिचेरी  , यानम ।

 मरकत द्वीप के नाम से जाना जाता है ---  अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह


 भारतीय संघ में शामिल राज्य एवं केंद्र शासित क्षेत्रों की संख्या क्रमशः--  29 और 7

 भारत के पूर्वोत्तर राज्य जिनकी सीमाएं बांग्लादेश से नहीं मिलती --- ----नागालैंड  ,मणिपुर , अरुणाचल प्रदेश  , सिक्किम ।

 मेक मोहन रेखा चीन और भारत के किस राज्य के बीच है ----- अरुणाचल प्रदेश

 इंदिरा पॉइंट की विषवत रेखा से दूरी ---- 876 कि मी

 भारत के शीर्ष पांच तटरेखा वाले राज्य ---- गुजरात  आंध्र प्रदेश  ,तमिलनाडु  ,महाराष्ट्र , केरल  ।

 नेपाल भूटान एवं चीन की सीमाओं से मिलने वाला भारतीय राज्य  ----- सिक्किम

 पूरे भारत का अक्षांशीय विस्तार ---6°4 से 37°6 उत्तरी अक्षांश ।

Monday, 4 September 2017

प्राचीन भारत का इतिहास by bajrang Lal


प्राचीन भारत का इतिहास


इसके स्रोतों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है ।



(1).  धर्म ग्रन्थ

(2).  साहित्यक स्रोत

(3).  पुरातत्विक स्रोत

(4)   विदशियों व्दारा विवरण




               धार्मिक ग्रन्थ स्रोत


ब्राह्मण साहित्य ---- ऋग्वेद  , सामवेद ,  यजुर्वेद एवं  अथर्ववेद  , ब्राह्नण , आरण्यक , उपनिषद , महाभारत , रामायण , पुराण ।

बौध्द साहित्य ----- विनयपिटक , सुतपिटक , अभिधम्मपिटक , महावंश , दीपवंश , ललित विस्तार , दिव्यावदान , बुध्दचरित , (अश्वघोष ) , महाविभाष ,  जातक आदि ।

जैन साहित्य --- कल्पसूत्र , भगवती सूत्र ,  आचारांग सूत्र  आदि ।



     ऐतिहासिक साहित्य स्रोत


राजतरंगिणी ( कल्हण ) , पृथ्वीराज रासो ( चन्द्रबरदाई ) , हर्षचरित ( बाणभट्ट ) , मुद्राराक्सस ( विशाखादत्त ) , अर्थशास्त्र ( कौटिल्य ) , अभिग्यानशाकुन्तलम् ( कालिदास ) , स्वप्नवासवदत्ता ( भास) ।


                राजाओं व्दारा रचित साहित्य


हाल ( सातवाहन ) ----  गाथा सप्तशती

महेन्द्रवर्मन ( पल्लव ) -----  मत्विलास प्रहसन

हर्षवर्धन  -------  रत्नावली , नागानन्द , प्रियदर्शिका

सोमेश्वर ( चालुक्य ) ------ मान्सोल्लास



साहित्यक स्रोत ग्रन्थ       :  प्रमुख तथ्य


महावंश व दीपवंश --- दक्सिणी बौध्द मत ग्रन्थ हैं।

ललित विस्तार  की रचना नेपाल में हुई थी  ।

पाणिनी ने संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी की रचना की थी  ।

पतंजलि ने महाभाष्य की रचना की , जो कि पाणिनी की अष्टाध्यायी पर आधारित है ।




                  विदेशियों व्दारा विवरण

**यूनानी लेखक **

(1) हेरोटोडस : हेरोटोडस को इतिहास का पिता कहा जाता है ।  इन्होने हिस्टोरिका नामक पुस्तक की रचना की  ।


(2)  मेगास्थनीज : मेगास्थनीज ने इण्डिका की रचना की ।

(3)  अग्यात लेखक : इश्वी सन् की पहली सदी में भारतीय बंदरगाहों , प्राकृतिक स्थिति व व्यापार पर प्रकाश अपनी रचना -- पेरीप्लस आफ द एरिथ्रियन सी में दिया गया है ।

(4)  टोलेमी : टोलेमी का ज्योग्राफी प्राचीन भारतीय भूगोल एवं वाणिज्य की जानकारी देती है ।

(5)  स्ट्रेबो : स्ट्रेबो ने नेगास्थनीज के विवरण को काल्पनिक माना है ।



**रोमन लेखक **

प्लिनी :  प्लिनी ने नेचुरलिस हिस्टोरिका भारत एवं इटली के बीच होने वाले व्यापारिक संबंधों की जानकारी देता है ।


**चीन विवरण **


(1)  फाह्यान : यह चन्द्रगुप्त व्दितीय के काल में भारत आया , उसने (फू -को -की ) की रचना की , जिसमें गुप्त काल में भारत के सामाजिक ,आर्थिक व धार्मिक स्थिति पर प्रकाश डाला ।

(2)  ह्येन सांग : यह हर्षवर्धन के समय 629 ईश्वी में भापत आया ,( सी - यू- की)  की रचना की ।

(3)  इत्सिंग : यह सातवीं शताब्दी में भारत आया तथा नालन्दा एवं विक्रमशिला का वर्णन किया ।



*** अरबी लेखक ***



(1)  सुलेमान : वह 9वीं शताब्दी में भारत आया तथा  पाल एवं प्रतिहार शासकों के बारे में लिखा ।

(2)  अलबरुनी : अलबरुनी ने तहकीक-ए-हिन्द की रचना की , जिसमें भारत के निवासियों की दशा का वर्णन किया है ।

पुरातात्विक स्रोत


पुरातात्विक स्रोतों में अभिलख , सिक्के , ( मुहर) , स्मारक , मूर्तियाँ , चित्रकला , भौतिक , अवशेष , मृदभाण्ड , आभूषण आदि आते हैं।


                शब्दावली

अभिलेख -- जो लेख मुहर , प्रस्तरस्तम्भों , स्तूपों , चट्टानों  और ताम्रपत्रों पर मिलते हैं।

एपिग्राफी --- अभिलेख के अध्ययन को पुरालेखाशास्त्र ( एपिग्राफी ) कहते हैं।

पेलिओग्राफी ----- अभिलेख तथा दूसरे प्राचीन दस्तावेजों की प्राचीन तिथी के अध्ययन को पुरालिपिशास्त्र कहते हैं।

न्यूमिस्मेटिक्स ----- सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र ( न्यूमिस्मेटिक्स ) कहते हैं।



        (1)    सिक्के

भारत के प्राचीन सिक्के पंचमार्क या आहत सिक्के कहलाते थे । साहित्य में इन सिक्कों को कार्षापण कहा गया है।

पुराने सिक्रे तांबे , चांदी , सोने , और सीसे के बनते हैं।

आरम्भिक सिक्कों में कुछ प्रतीक मिलते थे , परन्तु बाद में सिक्कों पर राजाओं और देवताओं के नाम तथा तिथियाँ उल्लिखित मिलती थी ।


सोने के लिखित सिक्के सर्वप्रथम कुषाण राजाओं ने जारी किए थे ।

गुप्त शासकों ने सबसे अधिक सोने के सिक्के जारी किए ।

समुद्रगुप्त को एक सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है ।

सातवाहनों ने सीसे के सिक्के जारी किए ।

गुप्तकाल में स्वर्ण सिक्कों को दीनार एवं चांदी के सिक्कों को रुपक कहते हैं।



        (2)  अभिलेख

सबसे अधिक अभिलेख मैसूर संग्रहालय में संगृहीत हैं।

मौर्य , मौर्योतर और गुप्त काल के अधिकांश अभिलेख कार्पस इन्सक्रिप्शनम इंडिकेरम नामक ग्रन्थ में संकलित हैं।



      अभिलेखों की लिपियाँ

(1)  प्राकृत लिपि --- आरम्भिक अभिलेख प्राकृत  भाषा में हैं।

(2)  ब्राह्मी लिपि ----- यह लिपि बाँए से दाँए लिखी जाती थी , अशोक के शिलालेख ब्राह्मी लिपि में हैं।

(3)  खरोष्ठी लिपि ---- यह लिपि दाँए से बाँए लिखी जाती थी , अशोक के कुछ शिलालेख खरोष्ठी लिपि में हैं।


(4)  यूनानी एवं अरमाइक लिपि ---- पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में अशोक के शिलालेखों में इन लिपियों का प्रयोग हुआ है ।

1837  में जेम्स प्रिंसेप  इन अभिलेखों को पढने वाला पहला विदेशी था ।




     महत्वपूर्ण अभिलेख एवं उनके शासक

समुद्रगुप्त. --------             प्रायग प्रशस्ति ( इलाहाबाद)
, एरण अभिलेख ( सागर म प्र )

रुद्रदामन ----------       जूनागढ़ अभिलेख ( गुजरात)

स्कन्दगुप्त -------------- भीतरी स्तम्भ लेख ( गाजीपुर)

खारवेल -------_           हाथीगुम्फा अभिलेख

पुलकेशिन 2nd------  ऐहोल अभिलेख

राजा भोज -------- ग्वालियर प्रशस्ति ( म प्र )

विजयसेन -------- देवपाड़ा अभिलेख

हर्षवर्ध्दन  -------- मधुवन एवं बासखेड़ा अभिलेख

यशोधर्मन ----_-------- मंदसौर प्रशस्ति

गौतमीबलश्री -------- नासिक अभिलेख


याद रखने की ट्रिक


ऐ. ,  प्रयाग का समुद्र  , जून का दामन ।

भीतरी सकरगन्द , हाथी की खाल ।

पुल का हाल , राजा बना ग्वाला ।

देवों की विजय , बास का मधुवन वृध्दि करे ।

यश मंदो ,  गौता नासा ।।



ये छोटी सी कविता याद करनी होगी


अभिलेख : विशिष्ट तथ्य

रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख संस्कृत भाषा में जारी प्रथम अभिलेख माना जाता है ।

पुलकेशिन व्दितीय का एहोल अभिलेख उसके दरबारी कवि रविकीर्ति व्दारा रचित है ।

अशोक के प्रयाग स्तम्भलेख में कारुवाकी , एवं तीवर का उल्लेख मिलता है ।

समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति की रचना उसके संधि विग्रहक हरिषेण ने की थी ।

भानुगुप्त के एरण अभिलेख में सर्वप्रथम सती प्रथा का लिखित साक्ष्य प्राप्त होता है ।

चन्द्रगुप्त 2nd के उदयगिरि गुहा लेख के अनुसार उसका उदेश्य सम्पूर्ण पृथ्वी को जीतना था ।

तुमुन अभिलेख में कुमारगुप्त 1st को शरदकालीन सूर्य का तरह बताया गया है ।

स्कन्दगुप्त के भीतरी अभिलेख में हुणों के आक्रमण का उल्लेख मिलता है ।

मंदसौर अभिलेख में यशोधर्मन को जननेंद्र कहा गया है ।

चन्द्रगुप्त 2nd विजयों का वर्णन मेहरौली लौहस्तम्भ लेख में मिलता है ।



            विदेशी अभिलेख

(1). बोगाज कोई ---- मध्य एशिया से 1400 ई पू में प्राप्त संधि पत्र अभिलेख में वैदिक देवता मित्र ,  वरुण , इन्द्र और नाशत्य के नाम उल्लिखित हैं।


(2)  हेलियोडोरस ( यूनानी राजदूत ). का बेसनगर का गरुड़ लेख ,  भागवत धर्म की जानकारी देता है ।




प्राचीन भारतीय इतिहास के आधुनिक लेखक


1776 में मनुस्मृति का अंग्रेजी अनुवाद ए कोड ओफ जेन्टू लोज के नाम से कराया गया ।

सर विलियम जोन्स ने 1789  में अभिग्यानशाकुंतलम का अंग्रेजी में अनुवाद किया ।

विल्किन्स ने 1785 में भगवतगीता का अंग्रोजी मेम अनुवाद किया ।

विसेन्ट आर्थर स्मिथ की पुस्तक अर्ली हिस्ट्री ओफ इंडिया में प्राचीन भारत का सुव्यवस्थित इतिहास प्रस्तुत किया गया है ।

ब्रिटिश इतिहासकार ए एल बैशम ने वंडर दैट वाज इंडिया लिखी ।

 डी डी कौसंबी की कृति एन इन्ट्रोडक्शन टू द स्टडी ओफ इंडियन हिस्ट्री , प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का एक उतम स्रोत है ।







           महत्वपूर्ण रचनाएँ एवं लेखक

विग्यानेश्वर ----- ------- मिताक्षरा

कालिदास ------ अभिग्यानशाकुंतलम , माल्विकाग्निमित्रम  , रघुवंश

विशाखादत ------ मुद्राराक्षस , देवीचन्द्रगुप्त

शूद्रक --------- मृच्छकटिकम

वात्स्यायन ----- कामसूत्र

बाणभट्ट ------ हर्षचरित

सोमदेव -------  ललितविग्रहराज

भास्कराचार्य ------ सिध्दांत शिरोमणि

नागसेन ------- मिलिन्द पान्हो

जयदेव -------  गीतगोविन्द

भास -------  चारु दत्त , स्वप्न वासवदत्ता

विष्णु शर्मा ------  पंचतंत्र

अश्वघोष -----  बुध्द चरित , सूत्रालंकार

वेदव्यास -------  भगवतगीता , महाभारत

भर्तृहरि -------  शक्ति शतक

भरत --------  नाटयशास्त्र

वाल्मीकि ------ रामायण

तुलसीदास ------  रामचरितमानस

माघ ----------  शिशुपालवध

सुश्रुत ----- सुश्रुत संहिता

नागार्जुन ------ शतसहस्रिका

प्रस्तर युग by bajrang Lal

प्रस्तर युग : आदिम मानव


प्रागैतिहासिक काल वह काल है , जिसके लिए कोई लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है ।


मनुष्य के विकास के आधार पर मानव सभ्यता को दो भागों में बाँटा गया है -- पाषाण युग एवं धातु युग


इतिहासकारों के अनुसार इस सभ्यता का उद्-भव एवं विकास प्रतिनूतन काल हुआ ।

इस युग को तीन कालों में विभक्त किया जाता है ।

(1)  पुरापाषण युग ( पैलियोलिथिक )

(2)  मध्यपाषाण काल ( मेसोलिथिक )

(3)  नवपाषाण काल ( नियोलिथिक )



       पुरापाषाण युग

इसे तीन उप भागों में विभाजित किया जाता है

(a)  निम्न पुरापाषाण काल ( 500,000 ई पू से 50,000 ई पू )

इस काल में मानव जीवन अस्थिर था  ।

इसी काल में अग्नि का आविष्कार हुआ  ।

मानव समूहों में शिकार कर अपना भोजन संग्रह करता था ।


मुख्य औजार --- कुल्हाड़ी या हस्त कुठार , विदारणी , खंडक  ।


( b)  मध्य  पुरापाषाण काल (50,000 से 40,000 ई पू )

अग्नि का प्रयोग व्यापक पैमाने पर किया जाता था  ।

इस काल को फलक संस्कृति भी कहते हैं।

इस काल में पत्थर के गोले से वस्तुओं का निर्माण हुआ  ।



(c)  उच्च पुरापाषाण काल ( 40,000 से 10,000 ई पू )

इस काल की दो प्रमुख विशेषताएं थी

(a) नए चमक उध्योग

(b)  आधुनिक मानव का उदय

सबसे पुरानी चित्रकारी के प्रमाण ( भीमबेटका ) इसी काल के हैं।


प्रमुख औजार --- फलक एवं तक्स्हणी , शल्क ।





(2) मध्यपाषाण काल ( 9,000 से 4,000 ई पू )

आदमगढ़ एवं बागोर में पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए ।

इस काल में सूक्ष्म पाषाण फलक का उध्योग था ।


मुख्य औजार ---- पत्थर के छोटे औजार ।



(3)  नवपाषाण काल ( 7,000 से 2500  ई पू )

इस काल में मानव ने खेती करना  प्रारम्भ  किया ।



प्रमुख औजार --- पोलिशदार पत्थर के औजार , मुख्यतः पत्थर की कुल्हाड़ियाँ , हड्डियों के औजार ।






नवपाषाण काल : विशिष्ट तथ्य

मेहरगढ़ से गेहूँ व जौ की खेती तथा भेड़ एवं बकरी पालन प्रारम्भ करने के साक्ष्य मिलता है ।

कोलडिहवा से विश्व में चावल का प्राचीनतम साक्ष्य ( लगभग 6,000 ई पू ). प्राप्त हुआ है ।

गुफ्कराल , कश्मीर -- यहाँ के लोग पशुपालन व कृषि दोनों कार्य करते थे ।

सर्वप्रथम इसी काल में कुत्ते को पालतू बनाया गया ।

 कुम्भकारी सबसे पहले इसी काल में मिलती है।

पिकलीहल -- यहाँ के निवासी पशुपालक थे ।  यहाँ पर राख के ढेर एवं निवास स्थान दोनों मिले हैं।

Indian rivers part1

1. वह कौन सी नदी है जो एक भ्रश घाटी से होकर बहती है? गोदावरी नर्मदा कृष्णा महानदी 2. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी कौन सी है? ...