भारत की मिट्टियां
मृदा के अध्ययन को मृदा विज्ञान ( pedology ) कहते हैं ।
मर्दा जनन एक जटिल तथा निरंतर होने वाली प्रक्रिया है ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) ने 1986 में देश में आठ प्रमुख मिट्टियों की पहचान की है ।
जलोढ़ मृदा _--------------------- 46%
काली मृदा ----------------------- 20%
लाल मृदा ------------------------18 %
लेटराइट मृदा ---------------------- 3.70%
मरुस्थलीय मृदा _--------------------- 4%
पर्वतीय मृदा ------------------------------- 5.5%
भूसर एवं भूरी मृदा
हिम क्षेत्र. ----------------------------------- 1.20%
जलोढ़ मिट्टी
जलोढ़ मिट्टियाँ विशाल मैदानों , नर्मदा , ताप्ती , गोदावरी , महानदी , कृष्णा , कावेरी की घाटियों में एवं केरल के तटवर्ती भागों में पाई जाती है ।
शोर्ट ट्रिक --- कृष्ण का जल में गोता खाने का मन किया
कृष्ण -- कृष्णा नदी
जल --- जलोढ़ मिट्टी
गो ---- गोदावरी नदी
ता --- ताप्ती नदी
म ---- महानदी
न ---- नर्मदा नदी
किया --- केरल
यह मिट्टियां नदियों द्वारा अपरदित पदार्थों से निर्मित है।
इसमें पोटास तथा कैल्शियम की प्रचुरता तथा नाइट्रोजन एवं ह्यूमस की कमी पाई जाती है ।
,
यह मिट्टी धान , गेहूं , तिलहन , गन्ना , दलहन , अादि की खेती के लिए उत्तम है ।
शोर्ट ट्रिक ------ गधा खाए तिल की गेंद
ग--- गन्ना
धा --- धान
तिल ---- तिल
गे --- गेहूं
द --- दलहन
काली मिट्टी
काली मिट्टी का विकास महाराष्ट्र , पश्चिमी मध्य प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु में दक्कन लावा के अपक्षय से हुआ है ।
शोर्ट ट्रिक ----- आप गुमराह मत करो
आप --- आंध्र प्रदेश
गु --- गुजरात
म --- मध्य प्रदेश
रा --- राजस्थान
म --- महाराष्ट्र
त --- तमिलनाडु
इसे स्थानीय रूप से रेगुर या काली कपास की मिट्टी कहते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय रूप से उष्ण कटिबंधीय चरनोजम कहा जाता है ।
यह मिट्टियां लौह तत्व , कैल्शियम , पोटाश , एलुमिनियम तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से समृद्धि एवं नाइट्रोजन , फास्फोरस और जैविक पदार्थ की कमी होती है ।
इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है जो गीली होने पर चिपचिपी एवं सुखने पर इसमें दरारें उत्पन्न हो जाती है ।
इनमें उर्वरता अधिक होती है ।
यह मिट्टी कपास , तूर , तंबाकू , मोटे अनाज एवं अलसी की खेती के लिए उपयुक्त हो रहती है ।
शोर्ट ट्रिक -- मोटा आलसी तू पास तो आ
पास---------- कपास
आलसी ------------- अलसी
मोटा -------------- मोटा अनाज
तू -------------- तूर
तो----------- तन्बाकू
लाल मिट्टी
यह मिट्टी तमिलनाडु , कर्नाटक , महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश , उड़ीसा , झारखंड के व्यापक क्षेत्र में पाई जाती है ।
शोर्ट ट्रिक ----- उड़ीसा तक आप झाम पाओगे।
आप ------ आन्ध्र प्रदेश
उड़ीसा ----- उड़ीसा
त ---------- तमिलनाडु
क ---------- कर्नाटक
झा ----------- झारखण्ड
म ----------- महाराष्ट्र
यह ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों के विखंडन एवं वियोजन से बनी है ।
इसका लाल रंग लोहे के आक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है ।
इस मिट्टी में लोह तत्व एवं एलुमिनियम अधिक होता है किंतु जीवनांश पदार्थ और नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की कमी पाई जाती है ।
यह अत्यधिक निक्षालित मिट्टियां है ।
यह बाजरे जैसी खाद्यान्न फसलों के लिए उपयुक्त होती हैं ।
लेटराइट मिट्टी
भारत में यह मिट्टी मेघालय पठार , पश्चिमी तथा पूर्वी घाट के क्षेत्रों में पाई जाती है ।
इनका स्वरूप एक जैसा होता है , भीगने पर यह कोमल एवं सूखने पर कठोर हो जाती है ।
यह मिट्टियां लौह एवं एलुमिनियम से समृद्ध किंतु नाइट्रोजन , पोटाश , पोटेशियम , चूना एवं जैविक पदार्थ की कमी होती है ।
इनकी उर्वरता कम होती है , परन्तु उर्वरक के उपयोग से काजू जैसी फसलें उगाई जा सकती है ।
पर्वतीय मिट्टी
यह मुख्यतः हिमालय , पश्चिमी घाट , पूर्वी घाट एवं प्रायद्वीपीय भारत की अन्य पर्वत श्रेणियों पर पाई जाती है ।
इसमें इनमें जीवांस की अधिकता एवं पोटाश , फास्फोरस एवं चुना की कमी पाई जाती है ।
यह मिट्टी चाय , कहवा , मसाला तथा फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है ।
शोर्ट ट्रिक ----- कच्चा मसाला पर्वत पर नहीं फैल सकता ।
क ------------- कहवा
चा ------------ चाय
मसाला -------- मसाला
पर्वत ---------- पर्वतीय मिट्टी
फैल -------- फल
मरुस्थलीय मिट्टी
मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार , राजस्थान , सौराष्ट्र ,कच्छ , हरियाणा और दक्षिणी पंजाब में है ।
शोर्ट ट्रिक --- मरुस्थल में सौ राष्ट्र का पहरा भी कम है ।
मरुस्थल ----- मरुस्थलीय मिट्टी
सौ राष्ट्र ------------ सौराष्ट्र
प -------------- पंजाब
ह ------------ हरियाणा
रा --------_----- राजस्थान
कम ----------- कच्छ
यह बजरी युक्त मिट्टी है जिसमें नाइट्रोजन एवं जैविक पदार्थों की कमी तथा केल्सियम कार्बोनेट की भिन्न मात्रा पाई जाती है ।
इनमें केवल मिलेट , बाजरा , ज्वार तथा मोटे अनाज ही उगाए जाते हैं ।
शोर्ट ट्रिक --- बाजरा मिले तो मोटा हो जांवा ।
बाजरा ------------ बाजरा
मिले -------------- मिलेट
मोटा ------------ मोटा अनाज
जांवा ---------- ज्वार
पेट एवं दलदली मृदा
यह मृदा वर्षा ऋतु में जलमग्न होने वाले क्षेत्रों में पाई जाती है ।
यह मिट्टियां काली भारी एवं अत्यधिक अम्लीय होती है , धान की खेती के लिए उपयुक्त होती हैं ।
यह मिट्टियां केरल में मिलती है ।
लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी
यह मिट्टियां पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के शुष्क भागों में पाई जाती है ।
शोर्ट ट्रिक -- उपमा ने हरि का पंजा लक्ष से धोया ।
उप----- उतर प्रदेश
मा ------- महाराष्ट्र
हरि ------- हरियाणा
पंजा -------- पंजाब
लक्ष ---- लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी
यह रहे कलर , उसर राथड़ , थूर , चोपन स्थानीय नामों से जानी जाती है ।
इनमें चावल , गेहूं , कपास , गन्ना , तंबाकू फसलें उगाई जाती है ।
मृदा के अध्ययन को मृदा विज्ञान ( pedology ) कहते हैं ।
मर्दा जनन एक जटिल तथा निरंतर होने वाली प्रक्रिया है ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR ) ने 1986 में देश में आठ प्रमुख मिट्टियों की पहचान की है ।
जलोढ़ मृदा _--------------------- 46%
काली मृदा ----------------------- 20%
लाल मृदा ------------------------18 %
लेटराइट मृदा ---------------------- 3.70%
मरुस्थलीय मृदा _--------------------- 4%
पर्वतीय मृदा ------------------------------- 5.5%
भूसर एवं भूरी मृदा
हिम क्षेत्र. ----------------------------------- 1.20%
जलोढ़ मिट्टी
जलोढ़ मिट्टियाँ विशाल मैदानों , नर्मदा , ताप्ती , गोदावरी , महानदी , कृष्णा , कावेरी की घाटियों में एवं केरल के तटवर्ती भागों में पाई जाती है ।
शोर्ट ट्रिक --- कृष्ण का जल में गोता खाने का मन किया
कृष्ण -- कृष्णा नदी
जल --- जलोढ़ मिट्टी
गो ---- गोदावरी नदी
ता --- ताप्ती नदी
म ---- महानदी
न ---- नर्मदा नदी
किया --- केरल
यह मिट्टियां नदियों द्वारा अपरदित पदार्थों से निर्मित है।
इसमें पोटास तथा कैल्शियम की प्रचुरता तथा नाइट्रोजन एवं ह्यूमस की कमी पाई जाती है ।
,
यह मिट्टी धान , गेहूं , तिलहन , गन्ना , दलहन , अादि की खेती के लिए उत्तम है ।
शोर्ट ट्रिक ------ गधा खाए तिल की गेंद
ग--- गन्ना
धा --- धान
तिल ---- तिल
गे --- गेहूं
द --- दलहन
काली मिट्टी
काली मिट्टी का विकास महाराष्ट्र , पश्चिमी मध्य प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु में दक्कन लावा के अपक्षय से हुआ है ।
शोर्ट ट्रिक ----- आप गुमराह मत करो
आप --- आंध्र प्रदेश
गु --- गुजरात
म --- मध्य प्रदेश
रा --- राजस्थान
म --- महाराष्ट्र
त --- तमिलनाडु
इसे स्थानीय रूप से रेगुर या काली कपास की मिट्टी कहते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय रूप से उष्ण कटिबंधीय चरनोजम कहा जाता है ।
यह मिट्टियां लौह तत्व , कैल्शियम , पोटाश , एलुमिनियम तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से समृद्धि एवं नाइट्रोजन , फास्फोरस और जैविक पदार्थ की कमी होती है ।
इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है जो गीली होने पर चिपचिपी एवं सुखने पर इसमें दरारें उत्पन्न हो जाती है ।
इनमें उर्वरता अधिक होती है ।
यह मिट्टी कपास , तूर , तंबाकू , मोटे अनाज एवं अलसी की खेती के लिए उपयुक्त हो रहती है ।
शोर्ट ट्रिक -- मोटा आलसी तू पास तो आ
पास---------- कपास
आलसी ------------- अलसी
मोटा -------------- मोटा अनाज
तू -------------- तूर
तो----------- तन्बाकू
लाल मिट्टी
यह मिट्टी तमिलनाडु , कर्नाटक , महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश , उड़ीसा , झारखंड के व्यापक क्षेत्र में पाई जाती है ।
शोर्ट ट्रिक ----- उड़ीसा तक आप झाम पाओगे।
आप ------ आन्ध्र प्रदेश
उड़ीसा ----- उड़ीसा
त ---------- तमिलनाडु
क ---------- कर्नाटक
झा ----------- झारखण्ड
म ----------- महाराष्ट्र
यह ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों के विखंडन एवं वियोजन से बनी है ।
इसका लाल रंग लोहे के आक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है ।
इस मिट्टी में लोह तत्व एवं एलुमिनियम अधिक होता है किंतु जीवनांश पदार्थ और नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की कमी पाई जाती है ।
यह अत्यधिक निक्षालित मिट्टियां है ।
यह बाजरे जैसी खाद्यान्न फसलों के लिए उपयुक्त होती हैं ।
लेटराइट मिट्टी
भारत में यह मिट्टी मेघालय पठार , पश्चिमी तथा पूर्वी घाट के क्षेत्रों में पाई जाती है ।
इनका स्वरूप एक जैसा होता है , भीगने पर यह कोमल एवं सूखने पर कठोर हो जाती है ।
यह मिट्टियां लौह एवं एलुमिनियम से समृद्ध किंतु नाइट्रोजन , पोटाश , पोटेशियम , चूना एवं जैविक पदार्थ की कमी होती है ।
इनकी उर्वरता कम होती है , परन्तु उर्वरक के उपयोग से काजू जैसी फसलें उगाई जा सकती है ।
पर्वतीय मिट्टी
यह मुख्यतः हिमालय , पश्चिमी घाट , पूर्वी घाट एवं प्रायद्वीपीय भारत की अन्य पर्वत श्रेणियों पर पाई जाती है ।
इसमें इनमें जीवांस की अधिकता एवं पोटाश , फास्फोरस एवं चुना की कमी पाई जाती है ।
यह मिट्टी चाय , कहवा , मसाला तथा फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है ।
शोर्ट ट्रिक ----- कच्चा मसाला पर्वत पर नहीं फैल सकता ।
क ------------- कहवा
चा ------------ चाय
मसाला -------- मसाला
पर्वत ---------- पर्वतीय मिट्टी
फैल -------- फल
मरुस्थलीय मिट्टी
मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार , राजस्थान , सौराष्ट्र ,कच्छ , हरियाणा और दक्षिणी पंजाब में है ।
शोर्ट ट्रिक --- मरुस्थल में सौ राष्ट्र का पहरा भी कम है ।
मरुस्थल ----- मरुस्थलीय मिट्टी
सौ राष्ट्र ------------ सौराष्ट्र
प -------------- पंजाब
ह ------------ हरियाणा
रा --------_----- राजस्थान
कम ----------- कच्छ
यह बजरी युक्त मिट्टी है जिसमें नाइट्रोजन एवं जैविक पदार्थों की कमी तथा केल्सियम कार्बोनेट की भिन्न मात्रा पाई जाती है ।
इनमें केवल मिलेट , बाजरा , ज्वार तथा मोटे अनाज ही उगाए जाते हैं ।
शोर्ट ट्रिक --- बाजरा मिले तो मोटा हो जांवा ।
बाजरा ------------ बाजरा
मिले -------------- मिलेट
मोटा ------------ मोटा अनाज
जांवा ---------- ज्वार
पेट एवं दलदली मृदा
यह मृदा वर्षा ऋतु में जलमग्न होने वाले क्षेत्रों में पाई जाती है ।
यह मिट्टियां काली भारी एवं अत्यधिक अम्लीय होती है , धान की खेती के लिए उपयुक्त होती हैं ।
यह मिट्टियां केरल में मिलती है ।
लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी
यह मिट्टियां पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के शुष्क भागों में पाई जाती है ।
शोर्ट ट्रिक -- उपमा ने हरि का पंजा लक्ष से धोया ।
उप----- उतर प्रदेश
मा ------- महाराष्ट्र
हरि ------- हरियाणा
पंजा -------- पंजाब
लक्ष ---- लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी
यह रहे कलर , उसर राथड़ , थूर , चोपन स्थानीय नामों से जानी जाती है ।
इनमें चावल , गेहूं , कपास , गन्ना , तंबाकू फसलें उगाई जाती है ।
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