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Thursday, 7 September 2017

भारत की मिट्टियाँ by bajrang Lal

           भारत की मिट्टियां


 मृदा के अध्ययन को मृदा विज्ञान ( pedology )  कहते हैं ।

मर्दा जनन एक जटिल तथा निरंतर होने वाली प्रक्रिया है ।


 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR )  ने 1986 में देश में आठ प्रमुख मिट्टियों की पहचान की है ।



 जलोढ़ मृदा _---------------------  46%

काली मृदा -----------------------   20%

 लाल मृदा  ------------------------18 %

लेटराइट मृदा ---------------------- 3.70%

मरुस्थलीय मृदा _--------------------- 4%

पर्वतीय मृदा ------------------------------- 5.5%

भूसर एवं भूरी मृदा

हिम क्षेत्र. ----------------------------------- 1.20%



 जलोढ़ मिट्टी

जलोढ़ मिट्टियाँ  विशाल मैदानों  , नर्मदा , ताप्ती , गोदावरी , महानदी , कृष्णा , कावेरी की घाटियों में एवं केरल के तटवर्ती भागों में पाई जाती है ।


  शोर्ट ट्रिक --- कृष्ण का जल में गोता खाने का मन किया

 कृष्ण -- कृष्णा नदी
 जल --- जलोढ़ मिट्टी
गो ---- गोदावरी नदी
 ता --- ताप्ती नदी
म ----  महानदी
न ----  नर्मदा नदी
किया ---  केरल


 यह मिट्टियां नदियों द्वारा अपरदित पदार्थों से निर्मित है।


 इसमें पोटास तथा कैल्शियम की प्रचुरता तथा नाइट्रोजन एवं ह्यूमस की कमी पाई जाती है ।
,
 यह मिट्टी धान ,  गेहूं , तिलहन , गन्ना , दलहन , अादि की खेती के लिए उत्तम है ।


  शोर्ट ट्रिक ------  गधा खाए तिल की गेंद

  ग---  गन्ना
 धा ---  धान
तिल ---- तिल
 गे ---    गेहूं
द ---  दलहन






 काली मिट्टी

काली मिट्टी का विकास महाराष्ट्र , पश्चिमी मध्य प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु में दक्कन लावा के अपक्षय से हुआ है ।

शोर्ट ट्रिक ----- आप गुमराह मत करो

 आप  --- आंध्र प्रदेश
 गु ---  गुजरात
  म ---  मध्य प्रदेश
  रा ---  राजस्थान
म --- महाराष्ट्र
त ---  तमिलनाडु





 इसे स्थानीय रूप से रेगुर या काली कपास की मिट्टी कहते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय रूप से उष्ण कटिबंधीय चरनोजम कहा जाता है ।


 यह मिट्टियां लौह तत्व , कैल्शियम , पोटाश , एलुमिनियम तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से समृद्धि एवं नाइट्रोजन , फास्फोरस और जैविक पदार्थ की कमी होती है ।


 इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है जो गीली होने पर चिपचिपी एवं सुखने पर  इसमें दरारें  उत्पन्न हो जाती है ।


 इनमें उर्वरता अधिक होती है ।

यह मिट्टी कपास , तूर , तंबाकू , मोटे अनाज एवं अलसी की खेती के लिए उपयुक्त हो रहती है ।

शोर्ट ट्रिक -- मोटा आलसी तू पास तो आ

   पास----------   कपास
आलसी ------------- अलसी
मोटा -------------- मोटा अनाज
तू -------------- तूर
तो----------- तन्बाकू




 लाल मिट्टी

 यह मिट्टी तमिलनाडु , कर्नाटक , महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश , उड़ीसा , झारखंड के व्यापक क्षेत्र में पाई जाती  है ।

शोर्ट ट्रिक -----  उड़ीसा तक आप झाम पाओगे।

आप ------ आन्ध्र प्रदेश
उड़ीसा  ----- उड़ीसा
त ---------- तमिलनाडु
क ---------- कर्नाटक
झा ----------- झारखण्ड
म ----------- महाराष्ट्र



 यह ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों के  विखंडन एवं वियोजन से बनी है ।

 इसका लाल रंग लोहे के आक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है ।



 इस मिट्टी में लोह तत्व  एवं एलुमिनियम अधिक होता है किंतु जीवनांश पदार्थ और नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की कमी पाई जाती है ।


 यह अत्यधिक निक्षालित मिट्टियां है ।


यह बाजरे जैसी खाद्यान्न फसलों के लिए उपयुक्त होती हैं ।




 लेटराइट मिट्टी

भारत में यह मिट्टी मेघालय पठार ,  पश्चिमी तथा पूर्वी घाट के क्षेत्रों में पाई जाती है ।

 इनका स्वरूप एक जैसा होता है  , भीगने पर यह कोमल एवं सूखने पर कठोर हो जाती है ।


 यह मिट्टियां लौह एवं एलुमिनियम से समृद्ध किंतु नाइट्रोजन , पोटाश , पोटेशियम , चूना  एवं जैविक पदार्थ की कमी होती है ।


इनकी उर्वरता कम होती है , परन्तु उर्वरक के उपयोग से काजू जैसी फसलें उगाई जा सकती है ।




 पर्वतीय मिट्टी


 यह मुख्यतः हिमालय , पश्चिमी घाट , पूर्वी घाट एवं  प्रायद्वीपीय भारत की अन्य पर्वत श्रेणियों पर पाई जाती है ।


 इसमें इनमें जीवांस की अधिकता एवं पोटाश   , फास्फोरस  एवं चुना की कमी पाई जाती है ।


 यह मिट्टी चाय , कहवा , मसाला तथा फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है ।


शोर्ट ट्रिक ----- कच्चा मसाला पर्वत पर नहीं फैल सकता ।

क ------------- कहवा
चा ------------ चाय
मसाला -------- मसाला
पर्वत ---------- पर्वतीय मिट्टी
फैल -------- फल


 मरुस्थलीय मिट्टी


मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार , राजस्थान , सौराष्ट्र  ,कच्छ , हरियाणा और दक्षिणी पंजाब में है ।

शोर्ट ट्रिक --- मरुस्थल में सौ राष्ट्र का पहरा भी कम है  ।

मरुस्थल ----- मरुस्थलीय मिट्टी
सौ राष्ट्र ------------ सौराष्ट्र
प -------------- पंजाब
ह ------------   हरियाणा
रा --------_----- राजस्थान
कम ----------- कच्छ


 यह बजरी युक्त मिट्टी है जिसमें नाइट्रोजन एवं जैविक पदार्थों की कमी तथा केल्सियम कार्बोनेट की भिन्न मात्रा पाई जाती है ।


 इनमें केवल मिलेट , बाजरा , ज्वार तथा मोटे अनाज ही उगाए जाते हैं ।

शोर्ट ट्रिक --- बाजरा मिले तो मोटा हो जांवा ।

बाजरा ------------ बाजरा
मिले -------------- मिलेट
मोटा ------------ मोटा अनाज
जांवा ---------- ज्वार



 पेट एवं दलदली मृदा

यह मृदा वर्षा ऋतु में जलमग्न होने वाले क्षेत्रों में पाई जाती है ।

 यह मिट्टियां काली भारी एवं अत्यधिक अम्लीय  होती है ,  धान की खेती के लिए उपयुक्त होती हैं ।


 यह मिट्टियां केरल में मिलती है ।



 लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी

यह मिट्टियां पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के शुष्क भागों में पाई जाती है ।

शोर्ट ट्रिक -- उपमा ने हरि का पंजा लक्ष से धोया ।

उप----- उतर प्रदेश
मा ------- महाराष्ट्र
हरि ------- हरियाणा
पंजा -------- पंजाब
 लक्ष ---- लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी

 यह रहे कलर  , उसर  राथड़ , थूर ,  चोपन स्थानीय नामों से जानी जाती है ।

 इनमें चावल , गेहूं , कपास , गन्ना , तंबाकू फसलें उगाई जाती है ।


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