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Saturday, 30 September 2017

महाद्वीप एवं महासागरीय नितल की उत्पत्ति एवं पृथ्वी की आंतरिक संरचना by bajrang Lal





महाद्वीप एवं महासागरीय नितल की उत्पत्ति

 महाद्वीप एवं महासागर प्रथम श्रेणी के उच्चावच हैं ।

 पृथ्वी के धरातल के 29.2 प्रतिशत भाग पर महाद्वीपों का विस्तार है ।

 महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के प्रणेता वैग्नर हैं ।

 कार्बनिफेरस  युग में विश्व  में संपूर्ण महाद्वीप आपस में मिले हुए थे यह वेगनर का सिद्धांत है ।


  प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत 1960  में हैरी  हैस ने दिया था ।

 यह महाद्वीप विस्थापन को स्पष्ट करने वाला सिद्धांत है ।

 विश्व का सबसे ऊंचा जलप्रपात एंजिल है जो  कैराेनी नदी पर है , एवं वेनेजुएला में है ।

 बोलोमा  जलप्रपात जैरे  नदी पर स्थित है ।

 स्टेनली जलप्रपात कांगो नदी पर है ।

 नियाग्रा जलप्रपात अमेरिका एवं कनाडा के बीच है जो सेंट लॉरेंस नदी पर है ।

नियाग्रा जलप्रपात ईरी  एवं ओण्टेरियो झीलों के मध्य स्थित है ।


 विक्टोरिया जलप्रपात जांबेजी नदी पर है ।


B L Nayak:


 पृथ्वी की आंतरिक संरचना


पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकारी का स्रोत भूकम्प विज्ञान है ।

 सियाल  , सीमा एवं निफे के रूप में भूगर्भ का विभाजन स्वेस  द्वारा किया गया है ।

 सियाल में ग्रेनाइट एवं नीस जैसी चट्टानों की प्रधानता है ।

 सीमा का निर्माण मुख्यतः बेसाल्ट एवं गेब्रो  जैसी चट्टानों से हुआ है ।

 क्रोड  में निकेल एवं लोहा जैसे तत्व की अधिकता है ।

 पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत के लिए सर्वप्रथम सियाल शब्द का प्रयोग स्वेस ने किया ।

 भूकंपीय तरंगों के आधार पर स्थलमंडल की मोटाई  100   किलोमीटर मापी गई है ।

 पृथ्वी की आंतरिक परत को बेरीस्फीयर कहते हैं ।

 पृथ्वी धरातल से गहराई की ओर जाने पर गहराई के साथ तापमान में 1 डिग्री सेंटीग्रेड प्रति 32 मीटर की दर से वृद्धि होती है ।

 पृथ्वी की आंतरिक संरचना के अनुसार भूगर्भ का विभाजन भूपटल ,  मेंटल एवं क्रोड  में किया गया । यह सिद्धांत ग्रांट  का है ।

 भूपटल की औसत मोटाई लगभग 33 किलोमीटर है ।

 भूपटल की मोटाई महाद्वीप भाग में ज्यादा एवं महासागरीय भाग में कम है ।

 महाद्वीपीय भूपटल मुख्यतः ग्रेनाइट चट्टानों से बना है ।

 महासागरीय भूपटल का निर्माण बेसाल्ट चट्टानों से हुआ है ।

 मेंटल  ( सीमा )  की गहराई 35 किलोमीटर से 2900  किलोमीटर है ।

 पृथ्वी के आयतन का 83.5% एवं द्रव्यमान का 67.8 प्रतिशत भाग मेंटल है ।

 इसका घनत्व 3 से लेकर 5.5 तक है ।

 मेंटल को व्हाइट ऑफ द अर्थ के नाम से भी जाना जाता है ।

 मेंटल में सिलिका एवं मैग्नीशियम की प्रधानता होती है ।

 मोहो असंबद्धता क्रस्ट  एवं मेंटल के बीच स्थित है ।

 दबाव एवं रेडियो सक्रिय पदार्थों का विखंडन भूगर्भ में तापमान वृद्धि का कारण है ।

 पृथ्वी भू-पर्पटी में सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व एलुमिनियम है ।

 धरातल से मोहो असंबद्धता की गहराई 30 किलोमीटर है ।

 वलन क्रिया पर्वत निर्माणकारी बल का परिणाम है ।

 सियाल मिश्रित धातुओं एवं सिलीकेटों से बनी परत है ।

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