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Saturday, 23 September 2017

मध्य भारत से एशिया का सम्बध by bajrang Lal

       मध्य एशिया से भारत का संपर्क


 पश्चिमोत्तर भारत में मौर्य के स्थान पर मध्य एशिया से आए कई राजवंशों ने अपनी सत्ता कायम की ।

 इस काल में भारतीय क्षेत्रों पर यूनानी , शक , पहलव तथा कुषाणों का हमला हुआ ।


(1).  हिंद यूनानी

 भारत पर आक्रमण करने वाले यूनानी हिंद यूनानी या बैट्रियाई  यूनानी कहलाते थे ।








  भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम यूनानी डिमेट्रियस प्रथम था जो कि बैक्ट्रिया का शासक था।

 इसने पश्चिमोत्तर भारत (  सिंध ,  अफगानिस्तान एवं पंजाब ) के विशाल क्षेत्र पर कब्जा कर लिया ।

 डिमैट्रयिस का उत्तराधिकारी मिनांडर. या  मिलिंद  एक महान शासक था ,  इसकी राजधानी पंजाब में शाकल  थी  ।

उसके  नागसेन के साथ वार्तालाप की रचना  का नाम मिलिंदपन्हो है ।




 हिंद यूनानी शासकों में सबसे ज्यादा सिक्के मिनांडर के ही हैं ।


 सबसे पहले भारत में सोने के सिक्के हिंद यूनानियों ने जारी किए थे ।

 इनके द्वारा चलाई गई कला को हेलेनिस्टिक आर्ट   कहते हैं ,  भारत में गांधार कला इसका उत्तम  उदाहरण है ।


(2)    शक

 हिंद यवनों  के बाद भारतीय  क्षेत्रों पर हमला करने वाले शक थे ।

 भारत में शक पूर्वी ईरान के क्षेत्रों से होकर आए थे ।


 शकों की  पाँच शाखाएं थी और हर शाखा के अलग-अलग राजधानी थी ।

 अफगानिस्तान ,  मथुरा ,  पश्चिम भारत ,  पंजाब एवं   ऊपरी दक्कन ।


 57  ईसवी पूर्व में उज्जैन के राजा ने शकों को युद्ध में पराजित कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ।

 विक्रम संवत नाम का संवत 57 ईसवी पूर्व में शकों पर उसकी विजय से आरंभ हुआ ।


 भारत में कुल 14 विक्रमादित्य हुए  ।

गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय  सबसे विख्यात विक्रमादित्य था  ।


 सबसे विख्यात शक शासक रुद्रदामन प्रथम था ।


 इसने काठियावाड़ में सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार किया ।


 जूनागढ़ अभिलेख रुद्रदामन का संस्कृत में  अभिलेख है ।


 शक नरेशों के भारतीय प्रदेशों के शासक क्षत्रप कहे  जाते थे ।


(3)   पहलव या  पार्थियाई

 पश्चिमोत्तर भारत में शकों  के बाद पहलवाें  का आधिपत्य हुआ ।

 इनका मूल निवास ईरान था ।

 सबसे प्रसिद्ध पार्थियाई राजा गोंडाफर्निस था ।

 उसी के शासनकाल में संत टॉमस ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भारत आया था ।


  (4). कुषाण


 यूची  नामक एक कबीला था जो पांच कुलों में बंट गया था कुषाण  उन्ही में एक कुल  के  थे ।



 कुजुल कडफिसेस

यह भारत में कुषाण वंश का संस्थापक था  ।


इसने तांबे के सिक्के जारी किए ।




विम कडफिसेस

इसके द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर शिव ,  नदी ,  त्रिशूल की आकृति बनी है ।



 कनिष्क

कुषाण राजवंश का सबसे महान शासक कनिष्क था ।

 कनिष्क ने 78 ई पू  में शक संवत चलाया जो उसके राज्यरोहण  की तिथि है।

 शक संवत भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है ।

 उसकी दो राजधानियां थी  --- पुरुषपुर और मथुरा ।

 चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के शासन काल में कुंडल वन में वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई ।




 अश्वघोष कनिष्क का राजकवि था ।

 कनिष्क के राजवैद्य चरक है ,  जिन्होंने चरक संहिता की रचना की ।

 कनिष्क के शासन काल में कला की दो स्वतंत्र शैलियों  का विकास हुआ (1)  गांधार शैली  एवं  (2) मथुरा कला शैली ।


 वासुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था ।



 नागार्जुन की तुलना मार्टिन लूथर से की गई है  ।


इन्हें भारत का आइंस्टीन भी कहा जाता है ,  इनकी प्रसिद्ध कृति माध्यमिक सूत्र है ।

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