मध्य एशिया से भारत का संपर्क
पश्चिमोत्तर भारत में मौर्य के स्थान पर मध्य एशिया से आए कई राजवंशों ने अपनी सत्ता कायम की ।
इस काल में भारतीय क्षेत्रों पर यूनानी , शक , पहलव तथा कुषाणों का हमला हुआ ।
(1). हिंद यूनानी
भारत पर आक्रमण करने वाले यूनानी हिंद यूनानी या बैट्रियाई यूनानी कहलाते थे ।
भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम यूनानी डिमेट्रियस प्रथम था जो कि बैक्ट्रिया का शासक था।
इसने पश्चिमोत्तर भारत ( सिंध , अफगानिस्तान एवं पंजाब ) के विशाल क्षेत्र पर कब्जा कर लिया ।
डिमैट्रयिस का उत्तराधिकारी मिनांडर. या मिलिंद एक महान शासक था , इसकी राजधानी पंजाब में शाकल थी ।
उसके नागसेन के साथ वार्तालाप की रचना का नाम मिलिंदपन्हो है ।
हिंद यूनानी शासकों में सबसे ज्यादा सिक्के मिनांडर के ही हैं ।
सबसे पहले भारत में सोने के सिक्के हिंद यूनानियों ने जारी किए थे ।
इनके द्वारा चलाई गई कला को हेलेनिस्टिक आर्ट कहते हैं , भारत में गांधार कला इसका उत्तम उदाहरण है ।
(2) शक
हिंद यवनों के बाद भारतीय क्षेत्रों पर हमला करने वाले शक थे ।
भारत में शक पूर्वी ईरान के क्षेत्रों से होकर आए थे ।
शकों की पाँच शाखाएं थी और हर शाखा के अलग-अलग राजधानी थी ।
अफगानिस्तान , मथुरा , पश्चिम भारत , पंजाब एवं ऊपरी दक्कन ।
57 ईसवी पूर्व में उज्जैन के राजा ने शकों को युद्ध में पराजित कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ।
विक्रम संवत नाम का संवत 57 ईसवी पूर्व में शकों पर उसकी विजय से आरंभ हुआ ।
भारत में कुल 14 विक्रमादित्य हुए ।
गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय सबसे विख्यात विक्रमादित्य था ।
सबसे विख्यात शक शासक रुद्रदामन प्रथम था ।
इसने काठियावाड़ में सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार किया ।
जूनागढ़ अभिलेख रुद्रदामन का संस्कृत में अभिलेख है ।
शक नरेशों के भारतीय प्रदेशों के शासक क्षत्रप कहे जाते थे ।
(3) पहलव या पार्थियाई
पश्चिमोत्तर भारत में शकों के बाद पहलवाें का आधिपत्य हुआ ।
इनका मूल निवास ईरान था ।
सबसे प्रसिद्ध पार्थियाई राजा गोंडाफर्निस था ।
उसी के शासनकाल में संत टॉमस ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भारत आया था ।
(4). कुषाण
यूची नामक एक कबीला था जो पांच कुलों में बंट गया था कुषाण उन्ही में एक कुल के थे ।
कुजुल कडफिसेस
यह भारत में कुषाण वंश का संस्थापक था ।
इसने तांबे के सिक्के जारी किए ।
विम कडफिसेस
इसके द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर शिव , नदी , त्रिशूल की आकृति बनी है ।
कनिष्क
कुषाण राजवंश का सबसे महान शासक कनिष्क था ।
कनिष्क ने 78 ई पू में शक संवत चलाया जो उसके राज्यरोहण की तिथि है।
शक संवत भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है ।
उसकी दो राजधानियां थी --- पुरुषपुर और मथुरा ।
चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के शासन काल में कुंडल वन में वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई ।
अश्वघोष कनिष्क का राजकवि था ।
कनिष्क के राजवैद्य चरक है , जिन्होंने चरक संहिता की रचना की ।
कनिष्क के शासन काल में कला की दो स्वतंत्र शैलियों का विकास हुआ (1) गांधार शैली एवं (2) मथुरा कला शैली ।
वासुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था ।
नागार्जुन की तुलना मार्टिन लूथर से की गई है ।
इन्हें भारत का आइंस्टीन भी कहा जाता है , इनकी प्रसिद्ध कृति माध्यमिक सूत्र है ।
पश्चिमोत्तर भारत में मौर्य के स्थान पर मध्य एशिया से आए कई राजवंशों ने अपनी सत्ता कायम की ।
इस काल में भारतीय क्षेत्रों पर यूनानी , शक , पहलव तथा कुषाणों का हमला हुआ ।
(1). हिंद यूनानी
भारत पर आक्रमण करने वाले यूनानी हिंद यूनानी या बैट्रियाई यूनानी कहलाते थे ।
भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम यूनानी डिमेट्रियस प्रथम था जो कि बैक्ट्रिया का शासक था।
इसने पश्चिमोत्तर भारत ( सिंध , अफगानिस्तान एवं पंजाब ) के विशाल क्षेत्र पर कब्जा कर लिया ।
डिमैट्रयिस का उत्तराधिकारी मिनांडर. या मिलिंद एक महान शासक था , इसकी राजधानी पंजाब में शाकल थी ।
उसके नागसेन के साथ वार्तालाप की रचना का नाम मिलिंदपन्हो है ।
हिंद यूनानी शासकों में सबसे ज्यादा सिक्के मिनांडर के ही हैं ।
सबसे पहले भारत में सोने के सिक्के हिंद यूनानियों ने जारी किए थे ।
इनके द्वारा चलाई गई कला को हेलेनिस्टिक आर्ट कहते हैं , भारत में गांधार कला इसका उत्तम उदाहरण है ।
(2) शक
हिंद यवनों के बाद भारतीय क्षेत्रों पर हमला करने वाले शक थे ।
भारत में शक पूर्वी ईरान के क्षेत्रों से होकर आए थे ।
शकों की पाँच शाखाएं थी और हर शाखा के अलग-अलग राजधानी थी ।
अफगानिस्तान , मथुरा , पश्चिम भारत , पंजाब एवं ऊपरी दक्कन ।
57 ईसवी पूर्व में उज्जैन के राजा ने शकों को युद्ध में पराजित कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ।
विक्रम संवत नाम का संवत 57 ईसवी पूर्व में शकों पर उसकी विजय से आरंभ हुआ ।
भारत में कुल 14 विक्रमादित्य हुए ।
गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय सबसे विख्यात विक्रमादित्य था ।
सबसे विख्यात शक शासक रुद्रदामन प्रथम था ।
इसने काठियावाड़ में सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार किया ।
जूनागढ़ अभिलेख रुद्रदामन का संस्कृत में अभिलेख है ।
शक नरेशों के भारतीय प्रदेशों के शासक क्षत्रप कहे जाते थे ।
(3) पहलव या पार्थियाई
पश्चिमोत्तर भारत में शकों के बाद पहलवाें का आधिपत्य हुआ ।
इनका मूल निवास ईरान था ।
सबसे प्रसिद्ध पार्थियाई राजा गोंडाफर्निस था ।
उसी के शासनकाल में संत टॉमस ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भारत आया था ।
(4). कुषाण
यूची नामक एक कबीला था जो पांच कुलों में बंट गया था कुषाण उन्ही में एक कुल के थे ।
कुजुल कडफिसेस
यह भारत में कुषाण वंश का संस्थापक था ।
इसने तांबे के सिक्के जारी किए ।
विम कडफिसेस
इसके द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर शिव , नदी , त्रिशूल की आकृति बनी है ।
कनिष्क
कुषाण राजवंश का सबसे महान शासक कनिष्क था ।
कनिष्क ने 78 ई पू में शक संवत चलाया जो उसके राज्यरोहण की तिथि है।
शक संवत भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है ।
उसकी दो राजधानियां थी --- पुरुषपुर और मथुरा ।
चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के शासन काल में कुंडल वन में वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई ।
अश्वघोष कनिष्क का राजकवि था ।
कनिष्क के राजवैद्य चरक है , जिन्होंने चरक संहिता की रचना की ।
कनिष्क के शासन काल में कला की दो स्वतंत्र शैलियों का विकास हुआ (1) गांधार शैली एवं (2) मथुरा कला शैली ।
वासुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था ।
नागार्जुन की तुलना मार्टिन लूथर से की गई है ।
इन्हें भारत का आइंस्टीन भी कहा जाता है , इनकी प्रसिद्ध कृति माध्यमिक सूत्र है ।
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