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Tuesday, 5 September 2017

मौर्योतर काल by bajrang Lal

                 मौर्योत्तर काल


मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहद्रथ  की हत्या करने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व में शुंग वंश की स्थापना की ।


 शुंग वंश शुंग वंश का संस्थापक पुष्यमित्र शुंग था ।

 शुंग वंश की राजधानी विदिशा में थी ।

 पुष्यमित्र के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना यवनों का भारत पर आक्रमण था ।

 यवन विजय के उपलक्ष्य में पुष्यमित्र ने दो अश्वमेघ  ￶￰यज्ञ कराए ।



 कालिदास कृत माल्विकाग्निमित्रम् के अनुसार पुष्यमित्र शुंग का पौत्र वसुमित्र ने यमवनों को परास्त किया था ।

 पुष्यमित्र के पुरोहित पतंजलि ने पाणिनी की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य की रचना की थी ।

 उससे मित्र के समय ही सांची के स्तूप का आकार दुगुना कराया गया था ।

 शुंग काल में संस्कृत भाषा एवं ब्राह्मण व्यवस्था का पुनरुत्थान हुआ  ।

इसी काल में पहला स्मृति ग्रंथ मनुस्मृति की रचना की गई ।

 शुंग वंश का अंतिम शासक देववती था ।

 इसकी हत्या 73 इससे पूर्व में उसके अमात्य वासुदेव ने कर दी तथा कण्व वंश की स्थापना की ।


     

                  कण्व वंश


 इस वंश की स्थापना वासुदेव ने की थी ।


 इस वंश के अंतिम शासक सुशर्मा था , जिसकी हत्या सातवाहन नरेश शिमुक ने कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की ।


                         सातवाहन वंश


 इस वंश का संस्थापक से शिमुक था  ।

उनकी राजधानी गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठान ( औरंगाबाद )  थी ।


                 प्रमुख शासक


 शातकर्णी प्रथम -

यह इस वंश का एक महान शासक था  ,जिसने दो अश्वमेघ यज्ञ तथा एक राजसूय यज्ञ संपन्न कराएं ।



 इसने चांदी के सिक्कों पर अश्व  की आकृति अंकित  करवाई ।

 सातकर्णि ने दक्षिणापथ का स्वामी की उपाधि धारण की ।

 नाणेघाट शिलालेख में इनकी उपलब्धियों का वर्णन विस्तार से किया गया है ।




 हाल प्रथम --


 हाल सातवाहन वंश का 17 वां शासक था इसने प्राकृत ग्रंथ गाथा सप्तशती की रचना की जिसमें 700 श्लोक हैं ।


 हाल के दरबार में ही गुणाढ्य निवास करते थे जिन्होंने वृहत्तकथा की रचना की थी ।





 गौतमीपुत्र सातकर्णि प्रथम --

सातवाहन वंश का पुनरुद्धार गौतमीपुत्र के समय में हुआ ।

 उसने क्षहरात वंश का नाश किया क्योंकि उसका शत्रु नहपान इसी  वंश का था ।

उसने शकों  से मालवा और काठियावाड़ भी छीन लिया ।


 नासिक अभिलेख में गौतमीपुत्र सातकर्णि की विजय का उल्लेख है ।




 यज्ञश्री सातकर्णी  --


यह सातवाहन वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था जिसने सिक्कों पर मछली  , शंख एवं  जहाज अंकित करवाया ।

 सातवाहन वंश का अंतिम शासक पुलवामा चतुर्थ था ।




                 विविध तथ्य

 सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी  , जो कि ब्राह्मी लिपि में थी ।

 सातवाहन काल में चांदी व तांबे के सिक्कों का प्रयोग होता था जिसे कार्षापण कहा जाता था ।

 सातवाहनों ने आर्थिक लेनदेन के लिए सीसे के सिक्कों का भी प्रयोग किया ।

 सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम ब्राह्मणों को भूमि दान या जागीर देने की प्रथा शुरू की ।

 सातवाहनों में मातृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था थी ।


 प्रमुख वास्तुकला  --- कार्ले का चैत्य  ,अजंता  व एलोरा की गुफाओं का निर्माण  , अमरावती एवं नागार्जुन कोंड के स्तूपों का निर्माण ।

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