अथर्ववेद में मगध का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है ।
मगध साम्राज्य के अंतर्गत 3 वंश आते हैं 1 - हर्यक वंश 2- शिशुनाग वंश एवं 3- नंद वंश ।
हर्यक वंश
बिंबिसार (544-492 इसा पूर्व )
-- यह हर्यक वंश का संस्थापक था तथा महात्मा बुद्ध का मित्र एवं संरक्षक था ।
राजगृह है या गिरिव्रज उसकी राजधानी थी ।
बिंबिसार को श्रेणिक भी कहा जाता था ।
उसने विजय एवं विस्तार के नीति शुरू की ।
बिंबिसार ने वैवाहिक संबंधो ं से अपनी स्थिति मजबूत की । उसने तीन विवाह कि। ।
1- प्रथम पत्नी महाकौशल देवी कोशल राज की पुत्री एवं प्रसेनजीत की बहन थी । इस विवाह सेकसी दहेज में मिला ।
,2-- दूसरी पत्नी लिच्छवी की राजकुमारी चेलना थी जिसने अजातशत्रु को जन्म दिया ।
3-- तीसरी रानी मद्र कुल की राजकुमारी क्षमा थी ।
इन विवाहों के फलस्वरुप मगध पश्चिम एवं उत्तर की ओर फैला ।
बिंबिसार ने अंग के शासक ब्रह्मदत्त की हत्या करके उसे मगध में मिला लिया ।
बिंबिसार ने अवंती नरेश चंडप्रद्योत से युद्ध किया किंतु अंत में दोनों दोस्त बन गए जब प्रद्योत को पीलिया हुआ तो बिंबिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को उज्जैन भेजा ।
अजातशत्रु (492-460 ईसा पूर्व)
अजाशत्रु अपने पिता बिंबिसार की हत्या करके शासक बना , उसे कुणिक भी कहा जाता है ।
उसने कौशल एवं वैशाली को पराजित कर मगध में मिलाया ।
उसने वैशाली के युद्ध में महाशिलाकंटक एवं रथमूसल जैसे हत्यारों का प्रयोग किया ।
अवंती के खतरे का सामना करने के लिए अजातशत्रु ने राजगीर की किलेबंदी करवाई ।
प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन अजातशत्रु के काल में हुआ था ।
उदयिन. (460-444 इसा पूर्व )
उदयन ने पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया ।
उसने पटना में गंगा और सोन के संगम पर एक किला बनवाया ।
इस वंश का अंतिम शासक नाग दशक था ।
शिशुनाग वंश ( 412 -345 ईसा पूर्व)
शिशुनाग (412 -- 394 ईसा पूर्व )
शिशुनाग जो नागदशक का अमर्त्य था उसने नाग दशक को अपदस्थ कर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
उसने वै शाली को राजधानी बनाया।
शिशुनाग ने अवंती को मगध में मिलाया ।
कालाशोक ( 394 366 ईसा पूर्व )
इसने पुनः पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया ।
द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक के काल में आयोजित हुई थी ।
नंदिवर्धन इस वंश का अंतिम शासक था ।
नन्द वंश-- ( 344 322 ईसा पूर्व)
महापद्मनंद ---(344 334 ईसा पूर्व)
यह नंद वंश का संस्थापक था ।
इसने कलिंग को मगध में मिलाया और विजय के रूप में कलिंग से जिन की मूर्ति उठा लाया ।
उसने अपने को एकराट कहा ।
घनन्द
यह इस वंश का अंतिम शासक था यह सिकंदर का समकालीन था ।
चंद्रगुप्त मौर्य ने घननंद को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना की।
सिकंदर का आक्रमण
सिकंदर मकदूनिया के शासक फिलिप द्वितीय का पुत्र था और अरस्तू का शिष्य था ।
वह 326 ईसा पूर्व में खैबर दर्रा पार करके भारत आया।
तक्षशिला में शासक आंभि ने सिकंदर के सामने घुटने टेक दिए ।
हाईडेस्पीज का युद्ध--- झेलम नदी के किनारे सिकंदर को पोरस का सामना करना पड़ा, सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया मगर उसके साहस से प्रभावित होकर उसका राज्य वापस कर दिया तथा पोरस सिकंदर का सहयोगी बन गया ।
सिकंदर की सेना ने व्यास नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया ।
भारत में 19 महीने रहने के बाद 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन में मृत्यु हो गई ।
खबर लेने आया , लड़ाई झेलनी पड़ी , ब्याह में रुका और बेबी के चक्कर में मर गया ।
सेल्यूकस सिकंदर का सेनापति था
निर्याकस का सिकंदर का जल सेनापति था
सिकंदर ने निर्याकस के नेतृत्व में सिंधु नदी के मुहाने से फरात नदी के मुहाने तक समुद्र तट का पता लगाने के लिए भेजा था।
एरिया एक यूनानी इतिहासकार था
मगध साम्राज्य के अंतर्गत 3 वंश आते हैं 1 - हर्यक वंश 2- शिशुनाग वंश एवं 3- नंद वंश ।
हर्यक वंश
बिंबिसार (544-492 इसा पूर्व )
-- यह हर्यक वंश का संस्थापक था तथा महात्मा बुद्ध का मित्र एवं संरक्षक था ।
राजगृह है या गिरिव्रज उसकी राजधानी थी ।
बिंबिसार को श्रेणिक भी कहा जाता था ।
उसने विजय एवं विस्तार के नीति शुरू की ।
बिंबिसार ने वैवाहिक संबंधो ं से अपनी स्थिति मजबूत की । उसने तीन विवाह कि। ।
1- प्रथम पत्नी महाकौशल देवी कोशल राज की पुत्री एवं प्रसेनजीत की बहन थी । इस विवाह सेकसी दहेज में मिला ।
,2-- दूसरी पत्नी लिच्छवी की राजकुमारी चेलना थी जिसने अजातशत्रु को जन्म दिया ।
3-- तीसरी रानी मद्र कुल की राजकुमारी क्षमा थी ।
इन विवाहों के फलस्वरुप मगध पश्चिम एवं उत्तर की ओर फैला ।
बिंबिसार ने अंग के शासक ब्रह्मदत्त की हत्या करके उसे मगध में मिला लिया ।
बिंबिसार ने अवंती नरेश चंडप्रद्योत से युद्ध किया किंतु अंत में दोनों दोस्त बन गए जब प्रद्योत को पीलिया हुआ तो बिंबिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को उज्जैन भेजा ।
अजातशत्रु (492-460 ईसा पूर्व)
अजाशत्रु अपने पिता बिंबिसार की हत्या करके शासक बना , उसे कुणिक भी कहा जाता है ।
उसने कौशल एवं वैशाली को पराजित कर मगध में मिलाया ।
उसने वैशाली के युद्ध में महाशिलाकंटक एवं रथमूसल जैसे हत्यारों का प्रयोग किया ।
अवंती के खतरे का सामना करने के लिए अजातशत्रु ने राजगीर की किलेबंदी करवाई ।
प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन अजातशत्रु के काल में हुआ था ।
उदयिन. (460-444 इसा पूर्व )
उदयन ने पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया ।
उसने पटना में गंगा और सोन के संगम पर एक किला बनवाया ।
इस वंश का अंतिम शासक नाग दशक था ।
शिशुनाग वंश ( 412 -345 ईसा पूर्व)
शिशुनाग (412 -- 394 ईसा पूर्व )
शिशुनाग जो नागदशक का अमर्त्य था उसने नाग दशक को अपदस्थ कर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
उसने वै शाली को राजधानी बनाया।
शिशुनाग ने अवंती को मगध में मिलाया ।
कालाशोक ( 394 366 ईसा पूर्व )
इसने पुनः पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया ।
द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक के काल में आयोजित हुई थी ।
नंदिवर्धन इस वंश का अंतिम शासक था ।
नन्द वंश-- ( 344 322 ईसा पूर्व)
महापद्मनंद ---(344 334 ईसा पूर्व)
यह नंद वंश का संस्थापक था ।
इसने कलिंग को मगध में मिलाया और विजय के रूप में कलिंग से जिन की मूर्ति उठा लाया ।
उसने अपने को एकराट कहा ।
घनन्द
यह इस वंश का अंतिम शासक था यह सिकंदर का समकालीन था ।
चंद्रगुप्त मौर्य ने घननंद को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना की।
सिकंदर का आक्रमण
सिकंदर मकदूनिया के शासक फिलिप द्वितीय का पुत्र था और अरस्तू का शिष्य था ।
वह 326 ईसा पूर्व में खैबर दर्रा पार करके भारत आया।
तक्षशिला में शासक आंभि ने सिकंदर के सामने घुटने टेक दिए ।
हाईडेस्पीज का युद्ध--- झेलम नदी के किनारे सिकंदर को पोरस का सामना करना पड़ा, सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया मगर उसके साहस से प्रभावित होकर उसका राज्य वापस कर दिया तथा पोरस सिकंदर का सहयोगी बन गया ।
सिकंदर की सेना ने व्यास नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया ।
भारत में 19 महीने रहने के बाद 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन में मृत्यु हो गई ।
खबर लेने आया , लड़ाई झेलनी पड़ी , ब्याह में रुका और बेबी के चक्कर में मर गया ।
सेल्यूकस सिकंदर का सेनापति था
निर्याकस का सिकंदर का जल सेनापति था
सिकंदर ने निर्याकस के नेतृत्व में सिंधु नदी के मुहाने से फरात नदी के मुहाने तक समुद्र तट का पता लगाने के लिए भेजा था।
एरिया एक यूनानी इतिहासकार था
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