Ads2
Saturday, 27 January 2018
Thursday, 25 January 2018
Wednesday, 24 January 2018
महाजनपद काल
महाजनपद काल
अंगुत्तर निकाय एवं भगवती सूत्र
1. काशी -- वाराणसी (वरुणा एवं अस्सी )
2. अंग -- भागलपुर -- मुंगेर -- चंपा -- ब्रम्हदत्त -- बिंबिसार
3. कौशल --- फैजाबाद --- श्रावस्ती --- साकेत --- प्रसनजीत
फैसला सुनकर श्रासा प्रसन्न हुई
4. वत्स --- इलाहाबाद ---- कौशांबी
अल्लाह ने कोस लिया वत्स
5. मगध --- पटना --- गिरिव्रज
गिरी हुई को मत पटाओ
6. वज्जि ---- गणतंत्र --- वैशाली
आठ वेव
7. मल --- गोरखपुर , देवरिया ---- कुशीनगर
गोरख देव को देखकर मन में खुशी हुई
8. मत्स्य --- राजस्थान --- विराटनगर
9. कुरु --- हरियाणा , पंजाब , मेरठ --- इंद्रप्रस्थ
10. चेदि --- बुंदेलखंड --- शक्तिमती
11. अश्मक ---- दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद --- पोटिल
12. शूरसेन --- उत्तर प्रदेश ---- मथुरा
13. अवंति --- मध्य प्रदेश , मालवा --- उज्जैन , महिष्मति --- शिशुनाग
14. पांचाल --- रोहिलखंड , बरेली , बदायूं एवं फर्रुखाबाद --- अहिछत्र , कांपिल्य
15. गांधार--- रावलपिंडी , पेशावर --- तक्षशिला --- पाणिनि
16. कंबोज ---- राजोड़ी , हजारा --- हाटक/राजपुर घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था
महाजनपदों को याद रखने का तरीका
काशी कौशल कुरु कंबोज
अंग अवंति अश्मक
मत्स्य मगध मल
वज्जि वत्स
गांधार शूरसेन चेदी पांचाल
अंगुत्तर निकाय एवं भगवती सूत्र
1. काशी -- वाराणसी (वरुणा एवं अस्सी )
2. अंग -- भागलपुर -- मुंगेर -- चंपा -- ब्रम्हदत्त -- बिंबिसार
3. कौशल --- फैजाबाद --- श्रावस्ती --- साकेत --- प्रसनजीत
फैसला सुनकर श्रासा प्रसन्न हुई
4. वत्स --- इलाहाबाद ---- कौशांबी
अल्लाह ने कोस लिया वत्स
5. मगध --- पटना --- गिरिव्रज
गिरी हुई को मत पटाओ
6. वज्जि ---- गणतंत्र --- वैशाली
आठ वेव
7. मल --- गोरखपुर , देवरिया ---- कुशीनगर
गोरख देव को देखकर मन में खुशी हुई
8. मत्स्य --- राजस्थान --- विराटनगर
9. कुरु --- हरियाणा , पंजाब , मेरठ --- इंद्रप्रस्थ
10. चेदि --- बुंदेलखंड --- शक्तिमती
11. अश्मक ---- दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद --- पोटिल
12. शूरसेन --- उत्तर प्रदेश ---- मथुरा
13. अवंति --- मध्य प्रदेश , मालवा --- उज्जैन , महिष्मति --- शिशुनाग
14. पांचाल --- रोहिलखंड , बरेली , बदायूं एवं फर्रुखाबाद --- अहिछत्र , कांपिल्य
15. गांधार--- रावलपिंडी , पेशावर --- तक्षशिला --- पाणिनि
16. कंबोज ---- राजोड़ी , हजारा --- हाटक/राजपुर घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था
महाजनपदों को याद रखने का तरीका
काशी कौशल कुरु कंबोज
अंग अवंति अश्मक
मत्स्य मगध मल
वज्जि वत्स
गांधार शूरसेन चेदी पांचाल
Tuesday, 16 January 2018
Important topic of religious
जैन धर्म
संस्थापक
तीर्थकर
उत्पत्ति
वर्धमान महावीर
जन्म
परिवार सदस्य
गृह त्याग
केवल्य प्राप्ति
निधन
जैन धर्म के पांच व्रत
अणुव्रत
सल्लेखना
देवताओं का अस्तित्व
वर्ण व्यवस्था
प्रथम उपदेश
जामाली
चंदना
गणधर
भाषा
पावापुरी
जैन धर्म का विभाजन
दिगंबर
श्वेतांबर
भगवती सूत्र
प्रमेय कमलमार्तंड
कल्पसूत्र
आचारांग सूत्र
परिशिष्ट पर्वन
जैन संगीति
बौद्ध धर्म
संस्थापक
गौतम बुद्ध
जन्म
परिवार सदस्य
महाभिनिष्क्रमण काल
आलार कलाम
सुजाता
बोधिवृक्ष
धर्मचक्रप्रवर्तन
आनंद
महाप्रजापति गौतमी
महत्वपूर्ण घटनाएं एवं प्रतीक
महापरिनिर्वाण
भ्रमण
श्रावस्ती
त्रिरत्न
भाषा
बौद्ध संगीतियां
सुत्तपिटक
विनयपिटक
अभिधम्मपिटक
अंगुत्तरनिकाय
मिलिंदपन्हो
जातक
शशांक
हीनयान , महायान
वैष्णव धर्म
विष्णु के दशावतार
छांदोग्योपनिषद्
गुप्तकाल
शैव धर्म
मत्स्यपुराण
कापालिक संप्रदाय
कालामुख संप्रदाय
लिंगायत संप्रदाय
पाशुपत संप्रदाय
नयनार संत
नाथ संप्रदाय
संस्थापक
तीर्थकर
उत्पत्ति
वर्धमान महावीर
जन्म
परिवार सदस्य
गृह त्याग
केवल्य प्राप्ति
निधन
जैन धर्म के पांच व्रत
अणुव्रत
सल्लेखना
देवताओं का अस्तित्व
वर्ण व्यवस्था
प्रथम उपदेश
जामाली
चंदना
गणधर
भाषा
पावापुरी
जैन धर्म का विभाजन
दिगंबर
श्वेतांबर
भगवती सूत्र
प्रमेय कमलमार्तंड
कल्पसूत्र
आचारांग सूत्र
परिशिष्ट पर्वन
जैन संगीति
बौद्ध धर्म
संस्थापक
गौतम बुद्ध
जन्म
परिवार सदस्य
महाभिनिष्क्रमण काल
आलार कलाम
सुजाता
बोधिवृक्ष
धर्मचक्रप्रवर्तन
आनंद
महाप्रजापति गौतमी
महत्वपूर्ण घटनाएं एवं प्रतीक
महापरिनिर्वाण
भ्रमण
श्रावस्ती
त्रिरत्न
भाषा
बौद्ध संगीतियां
सुत्तपिटक
विनयपिटक
अभिधम्मपिटक
अंगुत्तरनिकाय
मिलिंदपन्हो
जातक
शशांक
हीनयान , महायान
वैष्णव धर्म
विष्णु के दशावतार
छांदोग्योपनिषद्
गुप्तकाल
शैव धर्म
मत्स्यपुराण
कापालिक संप्रदाय
कालामुख संप्रदाय
लिंगायत संप्रदाय
पाशुपत संप्रदाय
नयनार संत
नाथ संप्रदाय
Friday, 12 January 2018
संविधान के स्रोत by bajrang Lal
संविधान के स्रोत
भारत शासन अधिनियम 1935
संघात्मक व्यवस्था ,
न्यायपालिका की शक्ति ,
राजनीति की आधारभूत संरचना ,
लोक सेवा आयोग
जर्मनी का संविधान ---- आपातकालीन उपबंध
पूर्व सोवियत संघ का संविधान --- मूल कर्तव्य
अमेरिका का संविधान
मौलिक अधिकार , सर्वोच्च न्यायालय ,
संविधान की सर्वोच्चता ,
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया ,
उपराष्ट्रपति का पद एवं
राज्यसभा में पदेन सभापति ,
राष्ट्रपति में संघ की कार्यपालिका शक्ति
राष्ट्रपति का संघ के रक्षा बलों का सर्वोच्च समादेश
ब्रिटिश संविधान
संसदीय प्रणाली
एकल नागरिकता
विधि का शासन
विधि निर्माण की प्रक्रिया
संसदीय विशेषाधिकार
चुनाव में सर्वाधिक मत के
आधार पर जीत की प्रक्रिया
द्विसदनीय व्यवस्था
कनाडा का संविधान
सरकार की संघीय व्यवस्था
केंद्र के पास अवशिष्ट शक्तियां
संघ तथा राज्य के बीच शक्तियों का वितरण
ऑस्ट्रेलिया का संविधान
समवर्ती सूची
प्रस्तावना की भाषा
केंद्र राज्य संबंध
आयरलैंड का सविंधान
राज्य के नीति निर्देशक तत्व ,
राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल एवं
निर्वाचन की पद्धति
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में
समाज सेवा साहित्य कला
एवं विज्ञान के क्षेत्र में ख्याति
प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन
जापान का संविधान
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
का सिद्धांत
दक्षिण अफ्रीका का संविधान
संविधान संशोधन की प्रक्रिया ।
भारत शासन अधिनियम 1935
संघात्मक व्यवस्था ,
न्यायपालिका की शक्ति ,
राजनीति की आधारभूत संरचना ,
लोक सेवा आयोग
जर्मनी का संविधान ---- आपातकालीन उपबंध
पूर्व सोवियत संघ का संविधान --- मूल कर्तव्य
अमेरिका का संविधान
मौलिक अधिकार , सर्वोच्च न्यायालय ,
संविधान की सर्वोच्चता ,
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया ,
उपराष्ट्रपति का पद एवं
राज्यसभा में पदेन सभापति ,
राष्ट्रपति में संघ की कार्यपालिका शक्ति
राष्ट्रपति का संघ के रक्षा बलों का सर्वोच्च समादेश
ब्रिटिश संविधान
संसदीय प्रणाली
एकल नागरिकता
विधि का शासन
विधि निर्माण की प्रक्रिया
संसदीय विशेषाधिकार
चुनाव में सर्वाधिक मत के
आधार पर जीत की प्रक्रिया
द्विसदनीय व्यवस्था
कनाडा का संविधान
सरकार की संघीय व्यवस्था
केंद्र के पास अवशिष्ट शक्तियां
संघ तथा राज्य के बीच शक्तियों का वितरण
ऑस्ट्रेलिया का संविधान
समवर्ती सूची
प्रस्तावना की भाषा
केंद्र राज्य संबंध
आयरलैंड का सविंधान
राज्य के नीति निर्देशक तत्व ,
राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल एवं
निर्वाचन की पद्धति
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में
समाज सेवा साहित्य कला
एवं विज्ञान के क्षेत्र में ख्याति
प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन
जापान का संविधान
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
का सिद्धांत
दक्षिण अफ्रीका का संविधान
संविधान संशोधन की प्रक्रिया ।
Sunday, 7 January 2018
Short tricks products 1sr rank by bajrang Lal
चीन -- गेहूं , धान , कपास , तंबाकू , आलू , प्याज , मूंगफली , सेब , अंगूर
short trick --- पास आ मुंह से प्यार का रंग अंग-अंग में उतरने दे
पास --- कपास
आ --- आलू
मुंह --- मूंगफली
से --- सेब
प्यार --- प्याज
अंग-अंग --- अंगूर
short trick --- कच्चे धागे से तंबू बनाएं
कच्चे --- चीन
धा-- धान
गे --- गेहूं
तंबू --- तंबाकू
भारत-- जूट , दलहन ,मसाले , केला
short trick --- साले भारत के दल से जूत खाओगे
साले --- मसाले
भारत --- भारत
के ---- केला
दल ---- दलहन
जूत --- जूट
ब्राजील ---- संतरा , गन्ना
short trick --- संत गजल नहीं लिखते
संत --- संतरा
ग --- गन्ना
जल ---- ब्राजील
short trick --- पास आ मुंह से प्यार का रंग अंग-अंग में उतरने दे
पास --- कपास
आ --- आलू
मुंह --- मूंगफली
से --- सेब
प्यार --- प्याज
अंग-अंग --- अंगूर
short trick --- कच्चे धागे से तंबू बनाएं
कच्चे --- चीन
धा-- धान
गे --- गेहूं
तंबू --- तंबाकू
भारत-- जूट , दलहन ,मसाले , केला
short trick --- साले भारत के दल से जूत खाओगे
साले --- मसाले
भारत --- भारत
के ---- केला
दल ---- दलहन
जूत --- जूट
ब्राजील ---- संतरा , गन्ना
short trick --- संत गजल नहीं लिखते
संत --- संतरा
ग --- गन्ना
जल ---- ब्राजील
Thursday, 4 January 2018
सिंधु घाटी सभ्यता by bajrang Lal
सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता की विस्तार अवधि 2350 - 1750 ईसापूर्व थी
सर्वप्रथम 1921 ईस्वी में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़पा नामक स्थान पर इसके अवशेष खोजे थे
1922 - 23 ईसवी में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो स्थल की खुदाई कराई , यहां से पशुपति की मूर्ति , नर्तकी की कांस्य मूर्ति तथा विशाल स्नानागार व स्नानागार के अवशेष प्राप्त हुए हैं
कालीबंगा से जूते हुए खेत , अग्नि वेदिका
तथा रोपड़ से मानव के साथ कुत्ते को दफनाने के साथ से मिले हैं
लोथल इस सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह था
इस सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता नगर योजना थी
नगरों में सड़कें व मकान विधिवत बनाए गए थे मकान पक्की ईंटों के बने होते थे तथा सड़के सीधी थी
नगरों में अनाज के भंडारण के लिए अना नगर बने थे
कृषि तथा पशुपालन के साथ-साथ उद्योग एवं व्यापार की अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे वस्त्र निर्माण इस काल का प्रमुख उद्योग था
सूती वस्त्रों के अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहां के निवासी कपास उगाना भी जानते थे
विश्व में सर्वप्रथम यहीं के निवासियों ने कपास की खेती प्रारंभ की थी
यहां के निवासी वस्तु-विनिमय द्वारा व्यापार किया करते थे
मातृदेवी के संप्रदाय का सिंधु संस्कृति में प्रमुख स्थान था मातृदेवी की ही भांति देवता की उपासना में भी बलि का विधान था
यहां पर पशुपतिनाथ , महादेव , लिंग , योनि , वृक्षों तथा पशुओं की पूजा की जाती थी
यह लोग भूत प्रेत , अंधविश्वास व जादू टोना पर भी विश्वास करते थे
दुर्भाग्यवश अभी तक सिंधु सभ्यता की लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है इसमें चित्र और अक्षर दोनों ही ज्ञात होते हैं ।
सिंधु घाटी सभ्यता की विस्तार अवधि 2350 - 1750 ईसापूर्व थी
सर्वप्रथम 1921 ईस्वी में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़पा नामक स्थान पर इसके अवशेष खोजे थे
1922 - 23 ईसवी में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो स्थल की खुदाई कराई , यहां से पशुपति की मूर्ति , नर्तकी की कांस्य मूर्ति तथा विशाल स्नानागार व स्नानागार के अवशेष प्राप्त हुए हैं
कालीबंगा से जूते हुए खेत , अग्नि वेदिका
तथा रोपड़ से मानव के साथ कुत्ते को दफनाने के साथ से मिले हैं
लोथल इस सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह था
इस सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता नगर योजना थी
नगरों में सड़कें व मकान विधिवत बनाए गए थे मकान पक्की ईंटों के बने होते थे तथा सड़के सीधी थी
नगरों में अनाज के भंडारण के लिए अना नगर बने थे
कृषि तथा पशुपालन के साथ-साथ उद्योग एवं व्यापार की अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे वस्त्र निर्माण इस काल का प्रमुख उद्योग था
सूती वस्त्रों के अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहां के निवासी कपास उगाना भी जानते थे
विश्व में सर्वप्रथम यहीं के निवासियों ने कपास की खेती प्रारंभ की थी
यहां के निवासी वस्तु-विनिमय द्वारा व्यापार किया करते थे
मातृदेवी के संप्रदाय का सिंधु संस्कृति में प्रमुख स्थान था मातृदेवी की ही भांति देवता की उपासना में भी बलि का विधान था
यहां पर पशुपतिनाथ , महादेव , लिंग , योनि , वृक्षों तथा पशुओं की पूजा की जाती थी
यह लोग भूत प्रेत , अंधविश्वास व जादू टोना पर भी विश्वास करते थे
दुर्भाग्यवश अभी तक सिंधु सभ्यता की लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है इसमें चित्र और अक्षर दोनों ही ज्ञात होते हैं ।
Wednesday, 3 January 2018
प्रत्यास्थता by bajrang Lal
प्रत्यास्थता
प्रत्यास्थता -- किसी पिंड पर जब बाहरी बल लगाया जाता है तब पिंड का परिमाप या रूप अथवा दोनों में परिवर्तन होता है बल हटा लिए जाने के बाद वह अपने
प्रारंभिक स्थिति में आने का प्रयास करता है पिंड के इस गुण को प्रत्यास्थता कहते हैं
कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिनमें विरूपक बल हटा लेने पर भी वह अपना रुप या आकार प्राप्त कर पाती हैं तो वह पूर्ण प्लास्टिक कहलाते हैं तथा यह गुण सुघटयता कहलाता है
जैसे -- गीली मिट्टी , गूंथा हुआ आटा ।
प्रतिबल --- पिंड को विकृति करने के लिए जब उस पर कोई बाहरी बल लगता है तो पिंड के अंदर आंतरिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है यह प्रतिक्रिया बाहरी बल का विरोध करती है तथा विरूपक बल को हटा लिए जाने पर पिंड को मूल अवस्था में लाने का प्रयास करती है साम्यावस्था में बाहरी बल एवं प्रतिबल बराबर होते हैं
अतः पिंड की इकाई क्षेत्रफल में आंतरिक प्रतिक्रिया या प्रत्यानयन बल को प्रतिबल कहा जाता है
प्रतिबल = F/A
F = पिंड पर लगने वाला बल
A = अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
विकृति --- विरूपक बल के लगने पर पिंड के आकार या परिमाप में परिवर्तन होता है इसे पिंड की विकृति कहते हैं
विकृति तीन प्रकार की होती है
(1). अनुदैर्ध्य विकृति
(2). आयतन विकृति
(3). विरूपक विकृति
अनुदैर्ध्य विकृति = लंबाई में परिवर्तन / प्रारंभिक लंबाई
आयतन विकृति = आयतन में परिवर्तन / प्रारंभिक आयतन
विरूपक विकृति जब पिंड में उत्पन्न विकृति ऐसी होती है कि वस्तु के रुप या आकार में ही परिवर्तन होता है न की आयतन में तो ऐसी विकृति विरूपक / विरूपण कहलाती है
हुक का नियम --- प्रत्यास्थता सीमा के अंदर प्रतिबल एवं विकृति एक दूसरे के समानुपाती होते हैं इसे हुक का नियम कहते हैं
प्रतिबल = E × विकृति
E को प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं
प्रत्यास्थता यंग गुणांक -- अनुदैर्ध्य प्रतिबल एवं अनुदैर्ध्य विकृति के अनुपात को प्रत्यास्थता यंग गुणांक कहते हैं
इसे Y से व्यक्त किया जाता है
Y = अनुदैर्ध्य प्रतिबल / अनुदैर्ध्य विकृति
प्वासो का अनुपात -- माना की एक तार की मूल लंबाई l तथा व्यास D , यदि इस तार पर एक भार F लटकाया जाता है तो तार की लंबाई में वृद्धि होती है व्यास में परिवर्तन होता है
पार्श्विक विकृति = व्यास में परिवर्तन / मूल व्यास
अनुदैर्ध्य विकृति = लंबाई में परिवर्तन / मूल लंबाई
पार्श्विक विकृति एवं अनुदैर्ध्य विकृति के अनुपात को प्वासो का अनुपात कहते हैं इसे O सूचित करते हैं
O = पार्श्विक विकृति / अनुदैर्ध्य विकृति
इसका मान ठोस के लिए -1 से 1/2 के बीच होता है
प्रत्यास्थता सीमा -- विरूपक बल का वह अधिकतम मान जिससे आगे बढ़ने पर पिंड अपने प्रत्यास्थता के गुणों को खो देता है प्रत्यास्थता सीमा कहलाती है
पराभव बिंदु -- प्रत्यास्थता सीमा के ऊपर जाने पर एक बिंदु ऐसा मिलता है जहां से पिंडो में अपने ही भार के कारण विरूपण होना प्रारंभ हो जाता है इसी बिंदु को पराभव बिंदु कहा जाता है
द्रवों की प्रत्यास्थता -- द्रवों का अपना खास आकार नहीं होता अतः इसकी अनुदैर्ध्य और विरूपक विकृति नहीं होती , उनमें केवल आयतन विकृति होती है केवल आयतन प्रत्यास्थता होती है
प्रत्यास्थता -- किसी पिंड पर जब बाहरी बल लगाया जाता है तब पिंड का परिमाप या रूप अथवा दोनों में परिवर्तन होता है बल हटा लिए जाने के बाद वह अपने
प्रारंभिक स्थिति में आने का प्रयास करता है पिंड के इस गुण को प्रत्यास्थता कहते हैं
कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिनमें विरूपक बल हटा लेने पर भी वह अपना रुप या आकार प्राप्त कर पाती हैं तो वह पूर्ण प्लास्टिक कहलाते हैं तथा यह गुण सुघटयता कहलाता है
जैसे -- गीली मिट्टी , गूंथा हुआ आटा ।
प्रतिबल --- पिंड को विकृति करने के लिए जब उस पर कोई बाहरी बल लगता है तो पिंड के अंदर आंतरिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है यह प्रतिक्रिया बाहरी बल का विरोध करती है तथा विरूपक बल को हटा लिए जाने पर पिंड को मूल अवस्था में लाने का प्रयास करती है साम्यावस्था में बाहरी बल एवं प्रतिबल बराबर होते हैं
अतः पिंड की इकाई क्षेत्रफल में आंतरिक प्रतिक्रिया या प्रत्यानयन बल को प्रतिबल कहा जाता है
प्रतिबल = F/A
F = पिंड पर लगने वाला बल
A = अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
विकृति --- विरूपक बल के लगने पर पिंड के आकार या परिमाप में परिवर्तन होता है इसे पिंड की विकृति कहते हैं
विकृति तीन प्रकार की होती है
(1). अनुदैर्ध्य विकृति
(2). आयतन विकृति
(3). विरूपक विकृति
अनुदैर्ध्य विकृति = लंबाई में परिवर्तन / प्रारंभिक लंबाई
आयतन विकृति = आयतन में परिवर्तन / प्रारंभिक आयतन
विरूपक विकृति जब पिंड में उत्पन्न विकृति ऐसी होती है कि वस्तु के रुप या आकार में ही परिवर्तन होता है न की आयतन में तो ऐसी विकृति विरूपक / विरूपण कहलाती है
हुक का नियम --- प्रत्यास्थता सीमा के अंदर प्रतिबल एवं विकृति एक दूसरे के समानुपाती होते हैं इसे हुक का नियम कहते हैं
प्रतिबल = E × विकृति
E को प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं
प्रत्यास्थता यंग गुणांक -- अनुदैर्ध्य प्रतिबल एवं अनुदैर्ध्य विकृति के अनुपात को प्रत्यास्थता यंग गुणांक कहते हैं
इसे Y से व्यक्त किया जाता है
Y = अनुदैर्ध्य प्रतिबल / अनुदैर्ध्य विकृति
प्वासो का अनुपात -- माना की एक तार की मूल लंबाई l तथा व्यास D , यदि इस तार पर एक भार F लटकाया जाता है तो तार की लंबाई में वृद्धि होती है व्यास में परिवर्तन होता है
पार्श्विक विकृति = व्यास में परिवर्तन / मूल व्यास
अनुदैर्ध्य विकृति = लंबाई में परिवर्तन / मूल लंबाई
पार्श्विक विकृति एवं अनुदैर्ध्य विकृति के अनुपात को प्वासो का अनुपात कहते हैं इसे O सूचित करते हैं
O = पार्श्विक विकृति / अनुदैर्ध्य विकृति
इसका मान ठोस के लिए -1 से 1/2 के बीच होता है
प्रत्यास्थता सीमा -- विरूपक बल का वह अधिकतम मान जिससे आगे बढ़ने पर पिंड अपने प्रत्यास्थता के गुणों को खो देता है प्रत्यास्थता सीमा कहलाती है
पराभव बिंदु -- प्रत्यास्थता सीमा के ऊपर जाने पर एक बिंदु ऐसा मिलता है जहां से पिंडो में अपने ही भार के कारण विरूपण होना प्रारंभ हो जाता है इसी बिंदु को पराभव बिंदु कहा जाता है
द्रवों की प्रत्यास्थता -- द्रवों का अपना खास आकार नहीं होता अतः इसकी अनुदैर्ध्य और विरूपक विकृति नहीं होती , उनमें केवल आयतन विकृति होती है केवल आयतन प्रत्यास्थता होती है
Monday, 1 January 2018
मौर्योत्तर काल
मौर्योत्तर काल
अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या कर किसने शुंग वंश की स्थापना की थी -- पुष्यमित्र
पुष्यमित्र शुंग मौर्य सम्राट वृहद्रथ की राजकीय सेना में किस पद पर थे --- सेनापति
कणव वंश का संस्थापक कौन था --- वसुदेव
सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था -- सिमुक
सातवाहनों ने पहले स्थानीय अधिकारियों के रूप में काम किया था --- मौर्यों के अधीन ( ssc 2002 )
कुषाण काल के दौरान मूर्ति कला की गांधार शैली में किसका मिश्रण है --- भारत - ग्रीक शैली ( ssc 2002 )
कनिष्क की राजधानी थी --- पुरुषपुर (ssc 2002 )
पुरुषपुर किसका दूसरा नाम था -- पेशावर ( ssc 2002 )
चरक किसके राज चिकित्सक थे --- कनिष्क ( ssc 2011 )
तक्षशिला के प्रसिद्ध स्थल होने का कारण था --- गांधार कला ( ssc 2011 )
भारत में सर्वप्रथम स्वर्ण मुद्राएं किसने चलाई -- इंडो बैक्ट्रियन ( ssc 2001 , 2002 )
किस संग्रहालय में कुषाणकालीन मूर्तियों का संग्रह अधिक मात्रा में है --- मथुरा संग्रहालय ( ssc 2000 )
किस वंश के शासकों ने ब्राह्मणों और बौद्ध भिक्षुओं को कर मुक्त भूमि या गांव देने की प्रथा प्रारंभ की थी --- सातवाहन ( ssc 2000)
भारतीय रंगमंच में यवनिका ( पर्दा ) का शुभारंभ किसने किया --- यूनानियों ने ( ssc 2000 )
भारतीयों के महान रेशम मार्ग किसने आरंभ किया था --- कनिष्क ( ssc 1999 , RRB 2005 )
किसने बड़े पैमाने पर स्वर्ण मुद्राएं चलाई थी --- कुषाण शासको ने ( RRB 2006)
चरक और नागार्जुन किसके दरबार की शोभा थे -- कनिष्क ( RRB 2006 )
शक संवत का प्रारंभ किस सम्राट के शासनकाल में 78 इसवी में हुआ था -- कनिष्क ( RRB 2005 )
तक्षशिला विश्वविद्यालय कहां स्थित है --- पाकिस्तान में ( RRB 2005 )
प्राचीन काल में कलिंग का महान शासक कौन था --- खारवेल ( RRB 2003 )
कुषाण काल में सबसे अधिक विकास किस क्षेत्र में हुआ था --- वास्तुकला में ( RRB Tech 2005 )
विक्रम संवत कब से प्रारंभ हुआ -- 58 ई पू
शुंग वंश के बाद किस वंश ने भारत पर राज किया -- कणव वंश ( BPSC 2002 )
किस चीनी जनरल ने कनिष्क को हराया था -- पेन चाऔ ( JPSC 2003 )
उत्तरी तथा उत्तरी पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्कों को जारी किया था --- कुषाण शासकों ने ( UPPCS 2005 )
प्राचीन भारत का महान व्याकरण पतंजलि किसका समकालीन था --- पुष्यमित्र शुंग ( UPPCS 2010 , 2011 )
भारत में प्रथम बार सैनिक शासन व्यवहार में लाया गया -- ग्रीक शासकों द्वारा ( UPSC 2000)
ईसा पूर्व दूसरी सदी के प्रारंभ में उत्तरी अफगानिस्तान में स्थापित भारत यूनानी राज्य था --- बैक्ट्रिया (UPSC 1999 )
बोधगया में शशांक ने बोधिवृक्ष को काट दिया था
किस अभिलेख में चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है --- रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख ( UPPCS 2008 )
प्राचीन भारत में किसने नियमित रूप से सोने के सिक्के चलाए -- कुषाण शासको ने ( UPPCS 2008 )
कलिंग नरेश खारवेल किस वंश से संबंधित था --- चेदि वंश ( UPPCS 2015 )
अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या कर किसने शुंग वंश की स्थापना की थी -- पुष्यमित्र
पुष्यमित्र शुंग मौर्य सम्राट वृहद्रथ की राजकीय सेना में किस पद पर थे --- सेनापति
कणव वंश का संस्थापक कौन था --- वसुदेव
सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था -- सिमुक
सातवाहनों ने पहले स्थानीय अधिकारियों के रूप में काम किया था --- मौर्यों के अधीन ( ssc 2002 )
कुषाण काल के दौरान मूर्ति कला की गांधार शैली में किसका मिश्रण है --- भारत - ग्रीक शैली ( ssc 2002 )
कनिष्क की राजधानी थी --- पुरुषपुर (ssc 2002 )
पुरुषपुर किसका दूसरा नाम था -- पेशावर ( ssc 2002 )
चरक किसके राज चिकित्सक थे --- कनिष्क ( ssc 2011 )
तक्षशिला के प्रसिद्ध स्थल होने का कारण था --- गांधार कला ( ssc 2011 )
भारत में सर्वप्रथम स्वर्ण मुद्राएं किसने चलाई -- इंडो बैक्ट्रियन ( ssc 2001 , 2002 )
किस संग्रहालय में कुषाणकालीन मूर्तियों का संग्रह अधिक मात्रा में है --- मथुरा संग्रहालय ( ssc 2000 )
किस वंश के शासकों ने ब्राह्मणों और बौद्ध भिक्षुओं को कर मुक्त भूमि या गांव देने की प्रथा प्रारंभ की थी --- सातवाहन ( ssc 2000)
भारतीय रंगमंच में यवनिका ( पर्दा ) का शुभारंभ किसने किया --- यूनानियों ने ( ssc 2000 )
भारतीयों के महान रेशम मार्ग किसने आरंभ किया था --- कनिष्क ( ssc 1999 , RRB 2005 )
किसने बड़े पैमाने पर स्वर्ण मुद्राएं चलाई थी --- कुषाण शासको ने ( RRB 2006)
चरक और नागार्जुन किसके दरबार की शोभा थे -- कनिष्क ( RRB 2006 )
शक संवत का प्रारंभ किस सम्राट के शासनकाल में 78 इसवी में हुआ था -- कनिष्क ( RRB 2005 )
तक्षशिला विश्वविद्यालय कहां स्थित है --- पाकिस्तान में ( RRB 2005 )
प्राचीन काल में कलिंग का महान शासक कौन था --- खारवेल ( RRB 2003 )
कुषाण काल में सबसे अधिक विकास किस क्षेत्र में हुआ था --- वास्तुकला में ( RRB Tech 2005 )
विक्रम संवत कब से प्रारंभ हुआ -- 58 ई पू
शुंग वंश के बाद किस वंश ने भारत पर राज किया -- कणव वंश ( BPSC 2002 )
किस चीनी जनरल ने कनिष्क को हराया था -- पेन चाऔ ( JPSC 2003 )
उत्तरी तथा उत्तरी पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्कों को जारी किया था --- कुषाण शासकों ने ( UPPCS 2005 )
प्राचीन भारत का महान व्याकरण पतंजलि किसका समकालीन था --- पुष्यमित्र शुंग ( UPPCS 2010 , 2011 )
भारत में प्रथम बार सैनिक शासन व्यवहार में लाया गया -- ग्रीक शासकों द्वारा ( UPSC 2000)
ईसा पूर्व दूसरी सदी के प्रारंभ में उत्तरी अफगानिस्तान में स्थापित भारत यूनानी राज्य था --- बैक्ट्रिया (UPSC 1999 )
बोधगया में शशांक ने बोधिवृक्ष को काट दिया था
किस अभिलेख में चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है --- रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख ( UPPCS 2008 )
प्राचीन भारत में किसने नियमित रूप से सोने के सिक्के चलाए -- कुषाण शासको ने ( UPPCS 2008 )
कलिंग नरेश खारवेल किस वंश से संबंधित था --- चेदि वंश ( UPPCS 2015 )
Subscribe to:
Posts (Atom)
Indian rivers part1
1. वह कौन सी नदी है जो एक भ्रश घाटी से होकर बहती है? गोदावरी नर्मदा कृष्णा महानदी 2. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी कौन सी है? ...
-
B L Nayak गुप्त साम्राज्य गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग भी कहा जाता है । श्री गुप्त श्री गुप्त इस वंश का संस्थापक...
-
महाद्वीप एवं महासागरीय नितल की उत्पत्ति महाद्वीप एवं महासागर प्रथम श्रेणी के उच्चावच हैं । पृथ्वी के धरातल के 29.2 प्रतिशत भाग पर...
-
भारत के प्रमुख दर्रे जम्मू-कश्मीर जोजिला दर्रा पीरपंजाल दर्रा काराकोरम दर्रा बुर्जिल दर्रा और बनिहाल दर्रा शोर्ट ट...