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Tuesday, 26 December 2017

गुरुत्वाकर्षण by bajrang Lal

     गुरुत्वाकर्षण

 दो वस्तुओं के बीच उनके द्रव्यमान के कारण लगने वाला आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है


 न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम 

गुरुत्वाकर्षण का बल पिंडों के द्रव्यमान ओके गुणनफल के समानुपाती एवं उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्यतिक्रमनुपाति होता है





         गुरुत्व

 गुरुत्व वह बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है  , गुरुत्व के कारण उत्पन्न त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं



 गुरुत्व के अधीन गिरती हुई वस्तु की गति ----  जो वस्तु ठीक ऊपर की ओर फेंकी जाती है या ठीक नीचे की ओर गिरती है तो उसमें भी त्वरण उत्पन्न होता है  जो सम्मान होता है इसे ही गुरुत्वीय त्वरण कहा जाता है

 नीचे की ओर गिरने वाली वस्तुओं के लिए  गुरुत्वीय त्वरण का मान धनात्मक होता है तथा ऊपर की ओर जाने वाली वस्तुओं के लिए गुरुत्व त्वरण का मान
ऋणात्मक होता है


 विभिन्न स्थानों पर एक ही वस्तु का भार 

अंतरिक्ष में  ---  0

 चंद्रमा पर ----  पृथ्वी पर वस्तु के भार का 1/6  गुना

 ऊंचाई पर  -----  ऊंचाई पर  g  का मान  कम होता है इसलिए वस्तु का भार घटता है

 पृथ्वी के केंद्र में ---- पृथ्वी के अंदर जाने पर वस्तु का भार घटता है और केंद्र में शून्य हो जाता है

 भूमध्य रेखा पर  --- g  का मान भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है , इसलिए वस्तु का भार भी न्यूनतम होता है

  ध्रुवों पर  --- यहां पर g  का मान अधिकतम होता है अतः वस्तु का भार ध्रुवों पर अधिकतम होता है

 पृथ्वी का घूर्णन ---  पृथ्वी  की घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान घटता है तथा घूर्णन गति घटने से g  का मान बढ़ता है

 यदि पृथ्वी अपने वर्तमान वेग से 17 गुना अधिक तेजी से घूर्णन  करे तो भूमध्य रेखा पर g  का मान 0  हो जाएगा और वहां पर सभी वस्तुओं का भार 0  हो जाएगा


लिफ्ट में पिंड का भार 


 1.  यदि लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है तो पिंड का आभासी भार बढ़ता है

2.   यदि लिफ्ट नीचे की ओर जाती है तो पिंड का आभासी भार घटता है

3.   यदि लिफ्ट की डोरी टूट जाए तो भारहीनता का अनुभव होता है अर्थात आभासी भार 0  होगा

4.   यदि लिफ्ट समान वेग से ऊपर या नीचे जाती है तो पिंड के भार में कोई परिवर्तन नहीं होगा

5.   यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरुत्वीय त्वरण से अधिक हो जाए तो लिफ्ट में खड़े व्यक्ति का सिर लिफ्ट की छत से टकरा जाएगा


 केप्लर के नियम

1.   प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर एक दीर्घ वृताकार पथ में परिक्रमा करता है तथा सूर्य ग्रह की कक्षा के एक फोकस बिंदु पर स्थित होता है

2.    प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है जब ग्रह सूर्य के निकट होता है तो उसका वेग बढ़ जाता है और जब वह दूर होता है तो  वेग घट जाता है

3.   ग्रह का परिक्रमण काल का वर्ग ग्रह से सूर्य की औसत दूरी के घन के समानुपाती होता है


 जो ग्रह सूर्य से अधिक दूरी पर होगा उसका परिक्रमा परिक्रमण काल अधिक होता है तथा जो सूर्य के निकट है उस का परिक्रमण काल कम होता है


 उपग्रह की कक्षीय चाल 

उपग्रह की कक्षीय चाल उसके पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है उपग्रह पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होगा उसकी चाल उतनी ही कम होगी
 जो उपग्रह पृथ्वी के बहुत निकट चक्कर लगाते हैं उनकी कक्षीय चाल 8 km/sec  होती है

 उपग्रह का परिक्रमण काल

 उपग्रह अपनी कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर कितने समय में लगाता है उससे उस का परिक्रमण काल कहते हैं

 परिक्रमण काल =  कक्षा की परिधि / कक्षीय चाल

 उपग्रह का परिक्रमण काल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता

 पृथ्वी के बहुत नजदीक चक्कर लगाने वाले उपग्रह का परिक्रमण काल 84 मिनट होता है

 भू स्थाई या तुल्यकालिक उपग्रह

 ऐसा उपग्रह जो पृथ्वी के अक्ष के लंबवत तल में पश्चिम से पूर्व की ओर पृथ्वी की परिक्रमा करता है और जिस का परिक्रमण काल पृथ्वी के परिक्रमण काल के बराबर होता है   भू स्थाई उपग्रह कहलाता है ,

  इनकी ऊंचाई पृथ्वी के तल से 36000 किलोमीटर होती है


 इनका प्रयोग संचार एवं मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है

 पलायन वेग

पलायन वेग वह न्यूनतम वेज है जिससे किसी पिंड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर फेंके जाने पर वह गुरुत्व क्षेत्र को पार कर जाता है और पृथ्वी पर वापस नहीं आता

 पृथ्वी पर इसका मान 11.2 km/sec  है चंद्रमा पर पलायन वेग का मान 2.37 km/sec  है

 गुरुत्व  केंद्र


किसी वस्तु का गुरुत्व  केंद्र वह बिंदु है जहां वस्तु का समस्त भार कार्य करता है वस्तु  चाहे किसी भी स्थिति में रखी जाए

 इस निश्चित बिंदु पर सभी बलों के आघूर्ण का योग 0 होता है 

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